iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा अगले कुछ महीनों तक चीनी के निर्यात की अनुमति दिए जाने की संभावना नहीं है। जून 2023 से इसके निर्यात पर रोक लगी हुई है।
पहले इस प्रतिबंध की समय सीमा 31 अक्टूबर 2023 तक नियत की गई थी लेकिन इसके खत्म होने से पूर्व ही सरकार ने 19 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी करके रोक की अवधि को अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया।
केन्द्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा है कि जब तक 2024-25 सीजन के लिए गन्ना फसल के उत्पादन का आंकलन नहीं हो जाता तब तक सरकार चीनी का कोई निर्यात कोटा आवंटित नहीं करेगी। चूंकि गन्ना फसल का आंकड़ा जून 2024 में ही उपलब्ध हो सकेगा इसलिए तब तक चीनी का निर्यात बंद रह सकता है।
ध्यान देने की बात है कि चीनी का निर्यात पहले मुक्त श्रेणी में था लेकिन अक्टूबर 2022 में सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके इसे प्रतिबंधित सूची में शामिल कर लिया। इसका मतलब यह हुआ कि उतना ही निर्यात हो सकता जितना कोटा सरकार नियत करेगी। यदि कोई निर्यात कोटा घोषित नहीं होता है तो चीनी का शिपमेंट नहीं किया जा सकता है।
18 अक्टूबर की अधिसूचना में सरकार ने निर्यात की प्रतिबंधित सूची में कच्ची चीनी, सफेद चीनी एवं रिफाइंड चीनी के साथ-साथ आर्गेनिक चीनी को भी शामिल कर लिया।
पिछले दिन आवश्यक खाद्य उत्पादों की कीमतों पर जानकारी देते हुए खाद्य सचिव ने कहा कि भारतीय चीनी अभी दुनिया में सबसे सस्ती चीनी में शामिल है।
पिछले एक दशक के दौरान चीनी सेक्टर में खुदरा महंगाई की दर में महज 2 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया। इसके सापेक्ष सरकार द्वारा निर्धारित होने वाले गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में होने वाली वृद्धि चीनी के खुदरा दाम में हुई बढ़ोत्तरी से ज्यादा रही है।
खाद्य सचिव के अनुसार चीनी का निर्यात कोटा जारी करने के मामले में सही समय पर निर्णय लिया जाएगा। निर्यात कोटा जारी किया जाए या नहीं किया जाए इसका फैसला कृषि मंत्रालय के गन्ना उत्पादन आंकड़े पर निर्भर करेगा। इसके अलावा 2024-25 के सीजन में फसल की हालत कैसी रहेगी और चीनी के घरेलू उत्पादन का परिदृश्य कैसा होगा इसको भी निर्यात कोटे के निर्णय का आधार बनाया जाएगा।
नमी का अभाव होने से अगले सीजन में गन्ना की फसल प्रभावित होने की आशंका है इसलिए चीनी निर्यात का फैसला काफी सोच समझकर लिया जाएगा।
सरकार की पहली प्राथमिकता घरेलू बाजार में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करना, कीमतों पर नियंत्रण रखना और आम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। चीनी के निर्यात पर अगले आदेश तक रोक लगाये जाने से सरकार अब किसी समय सीमा के बंधन या दायित्व से मुक्त हो गई है।