iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा आमतौर पर गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में पिछले एक दशक के दौरान अधिकतम 105-110 रुपए प्रति क्विंटल की वार्षिक बढ़ोत्तरी की जा रही थी लेकिन इस बार सीधे 150 रुपए प्रति क्विंटल का भारी इजाफा कर दिया गया।
इसके फलस्वरूप गेहूं का एमएसपी 2022-23 सीजन के 2125 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 2023-24 सीजन के लिए 2275 रुपए प्रति क्विंटल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
इससे जहां एक ओर सरकारी खाद्य सब्सिडी में भारी बढ़ोत्तरी होगी वहीँ दूसरी ओर खुले बाजार में भी गेहूं एवं इसके उत्पादों का भाव ऊंचा और तेज रहेगा जिससे आम उपभोक्ताओं की कठिनाई बढ़ेगी। समझा जाता है कि चुनावी वर्ष को ध्यान में रखते हुए सरकार ने किसानों को खुश करने हेतु गेहूं के समर्थन मूल्य में भारी इजाफा किया है।
ध्यान देने की बात है कि इससे पूर्व 2006-07 एवं 2007-08 के सीजन में भी गेहूं के समर्थन मूल्य में इतनी ही बढ़ोत्तरी की गई थी। उसके बाद से कम बढ़ोत्तरी हुई। इस बार की वृद्धि राजनैतिक तथा आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
पांच राज्यों में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व किसानों को पता लग गया कि गेहूं का समर्थन मूल्य 150 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है और अगले साल अप्रैल-मई में जब लोकसभा का चुनाव होगा तब गेहूं उत्पादकों को इस समर्थन मूल्य का फायदा मिलना शुरू हो जाएगा। केन्द्र सरकार आमतौर पर किसानों से 1 अप्रैल से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद आरंभ कर देती है।
मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में गेहूं का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है जबकि वहां नवम्बर में विधानसभा का चुनाव होगा। पिछले 10 वर्ष के दौरान गेहूं के एमएसपी में कुल मिलाकर 875 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी हुई है जबकि उससे पिछले के 10 साल में 770 रुपए का इजाफा हुआ था।
सामान्य श्रेणी के धान में भी कमोबेश यही समीकरण बैठ रहा है। भाजपा सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल में इसका समर्थन मूल्य कुल मिलाकर 873 रुपए बढ़ाया गया जबकि उससे पूर्व यूपीए के शासन काल में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 760 रुपए बढ़ाया गया था।
ऊंचे समर्थन मूल्य के सहारे सरकार को अगले साल रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान अधिक मात्रा में गेहूं खरीदने का अवसर मिल सकता है। 1 अक्टूबर 2023 को केन्द्रीय पूल में 39.95 लाख टन गेहूं का स्टॉक उपलब्ध था जो न्यूनतम आवश्यक मात्रा 205,20 लाख टन से ज्यादा था।
गेहूं की अगली फसल के प्रति चिंता बढ़ रही है क्योंकि बांधों- जलाशयों में पानी का भंडार कम है और कई राज्यों में वर्षा की कमी से खेतों की मिटटी में नमी का अभाव रहने की आशंका है।