iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य सचिव ने उम्मीद जताई है कि वर्तमान त्यौहारी सीजन के दौरान घरेलू प्रभाग में आवश्यक खाद्य उत्पादों का भाव काफी हद तक स्थिर बना रहेगा। सरकार इसकी कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए सभी जरुरी कदम उठा रही है।
इसके तहत गेहूं एवं इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों, टुकड़ी चावल एवं ग़ैर बासमती सफेद (कच्चा) चावल तथा चीनी के निर्यात पर पाबंदी लगा दी गई है, दलहनों का आयात बढ़ाया जा रहा है और इस पर स्टॉक सीमा के नियम को सख्त बनाया गया है।
केन्द्रीय बफर स्टॉक से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत नीचे दाम पर गेहूं एवं चावल की बिक्री की जा रही है और खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को काफी घटा दिया गया है।
खाद्य सचिव के मुताबिक देश में चावल, गेहूं, चीनी तथा खाद्य तेलों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है इसलिए त्यौहारी सीजन में इसकी समुचित आपूर्ति होगी और कीमतों में स्थिरता रहने की उम्मीद है।
खाद्य सचिव के अनुसार चावल के निर्यात पर लागू प्रतिबंधों- नियंत्रणों में छूट या राहत देने का सरकार का अभी कोई प्लान नहीं है और यदि आवश्यकता पड़ी तो बफर स्टॉक से खुले बाजार में बेचने के लिए गेहूं की और अधिक मात्रा जारी की जा सकती है।
लेकिन खाद्य सचिव ने किसी राज्य को अपनी निजी स्कीम चलाने के लिए बफर स्टॉक से चावल उपलब्ध करवाने की संभावना से इंकार कर दिया।
उनका कहना था कि देश में आवश्यक खाद्य उत्पादों का अभाव नहीं है और अगले तीन-चार महीनों तक इसकी कीमतों में स्थिरता का माहौल बरकरार रह सकता है।
सरकार को नहीं लगता है कि इसके दाम में उछाल आएगा। चावल में महंगाई दर 11-12 प्रतिशत पर स्थिर बना हुआ है। अब खरीफ कालीन चावल की आपूर्ति शुरू होने वाली है जिससे इसकी उपलब्धता क्रमिक रूप से बढ़ सकती है।
यदि सरकार ने सही समय पर आवश्यक कदम नहीं उठाया होता तो चावल की महंगाई दर 17-18 प्रतिशत पर पहुंच सकती थी। गैर बासमती सेला चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क 31 मार्च 2024 तक बरकरार रखने का फैसला किया गया है जिससे घरेलू बाजार में इसकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
शुल्क लागू होने के बाद 30 सितम्बर तक इसके निर्यात में मात्रा की दृष्टि से 65 प्रतिशत एवं मूल्य (आय) की दृष्टि से 56 प्रतिशत की भारी गिरावट आ गई।