iGrain India - नई दिल्ली । बढ़ते घरेलू बाजार भाव को देखते हुए केन्द्र सरकार ने मई 2022 में गेहूं के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन कुछ शर्तों के साथ इसमें थोड़ी रियायत भी दी थी। बाद में वह रियायत वापस ले ली गई। इसके बावजूद अप्रैल से अगस्त 2022 के पांच महीनों में देश से गेहूं का निर्यात बढ़कर 44.07 लाख टन पर पहुंच गया जिससे 142.50 करोड़ डॉलर की शानदार आमदनी हुई थी। चालू वित्त वर्ष के दौरान केवल सरकार से सरकार स्तर पर ही सीमित मात्रा में गेहूं का शिपमेंट हो सका। एपीडा के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-अगस्त 2023 के पांच महीनों में केवल 53 हजार टन गेहूं का निर्यात संभव हो सका जिससे 1.60 करोड़ डॉलर की आमदनी हुई। इस तरह वर्ष 2022 के मुकाबले वर्ष 2023 में अप्रैल-अगस्त के दौरान गेहूं की निर्यात आय में 98.90 प्रतिशत की जोरदार गिरावट दर्ज की गई।
केन्द्र सरकार गेहूं का व्यापारिक निर्यात निकट भविष्य में खोलने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि घरेलू बाजार में इसका भाव अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊंचा चल रहा है और आगामी रबी सीजन में इसके उत्पादन की स्थिति अभी अनिश्चित बनी हुई है। इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश कम हुई। सरकार के पास अभी गेहूं का अच्छा स्टॉक मौजूद है मगर अगली फसल भी बहुत दूर है। सरकार बफर स्टॉक से गेहूं बेचकर बाजार भाव को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है इसलिए इसके निर्यात की अनुमति देने के किसी प्रस्ताव पर वह विचार नहीं कर रही है। गेहूं की बिजाई अगले महीने से जोर पकड़ेगी।