iGrain India - तिरुअनंतपुरम । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अब समूचे देश से प्रस्थान कर चुका है और उत्तर-पूर्व मानसून के आने का रास्ता साफ हो गया है। इसे शीतकालीन (विंटर) मानसून भी कहा जाता है।
देश के दक्षिणी प्रायद्वीप में उत्तर-पूर्व मानसून का आगमन अगले एक-दो दिन में होने की संभावना है लेकिन मौसम विभाग का कहना है कि शुरुआती चरण में यह कुछ कमजोर रह सकता है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि मौसम विभाग ने बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक डिप्रेशन का निर्माण होने का अलर्ट जारी किया है लेकिन फिर भी मानसून की गतिशीलता बढ़ने की संभावना कम है।
अरब सागर के ऊपर भी पहले से ही डिप्रेशन का अलर्ट जारी हो चुका है। उसके दक्षिणी-पश्चिमी भाग के ऊपर कम दाब का क्षेत्र बनने लगा है और अब इसके सघन एवं मजबूत होने का इंतजार किया जा रहा है।
यह कम दाब का क्षेत्र लक्ष्यद्वीप से दूर तथा भारत के पश्चिमी तट से अलग है। इसका एक समकक्ष दाब क्षेत्र बंगाल की खाड़ी के ऊपर 21 अक्टूबर से बनना शुरू हो सकता है और 23 अक्टूबर तक काफी सघन हो जाएगा।
यह आंध्र प्रदेश तट के निकट है। आमतौर पर अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी के ऊपर निर्मित होने वाले कम दाब से देश की मुख्य भूमि में अच्छी वर्षा होने की उम्मीद की जा सकती थी लेकिन ऐसा लगता है कि इसकी दिशा अलग-अलग है और इसलिए आरंभिक दौर में मानसून को इससे ज्यादा ताकत नहीं मिल पाएगी।
उत्तर-पूर्वी दिशा की ओर हवा के प्रवाह की गति चालू माह के अंत तक धीमी रहने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार 24 अक्टूबर से पूर्व दक्षिण प्रायद्वीप में भारी बारिश होने की संभावना नजर नहीं आ रही है जबकि उसके अगले दो दिन तक केरल के कुछ भागों में सामान्य वर्षा हो सकती है।
इसके अलावा तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश एवं यानम में भी बारिश होने के आसार हैं। उसके बाद हवा की दिशा एवं गतिशीलता में बदलाव होने से उड़ीसा तथा पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश होने की संभावना रहेगी।