iGrain India - मैसूर । एक साल के अंतराल के बाद लालमिर्च की फस पर एक बार फिर ब्लैक थ्रिप्स कीट का प्रकोप देखा जा रहा है जिससे उत्पादकों की चिंता बढ़ गई है। कर्नाटक के एक महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्र- बेल्लारी के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में रॉयल सीमा संभाग के कुछ इलाकों में भी इस कीट के प्रकोप से लालमिर्च की फसल को खतरा उत्पन्न हो गया है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि इस बार हरियाणा में भी ब्लैक थ्रिप्स कीट के प्रकोप की सूचना मिल रही है जबकि वहां पूरी तरह सुरक्षित एवं संरक्षित व्यवस्था के साथ लालमिर्च की खेती होती है।
उल्लेखनीय है कि 2021-22 सीजन के दौरान इस कीड़े के आघात से कर्नाटक में फसल को भारी नुकसान हुआ था और एक बार फिर इसका खतरा सामने आ गया है।
ब्लैक थ्रिप्स एक आक्रामक चूसक कीट है जो लालमिर्च के पौधों से नवजात फूलों को खा जाता है और कलियों को भी कुतरकर कमजोर कर देता है। इससे उपज दर घट जाती है।
एक विशेषज्ञ एवं विश्लेषक के अनुसार कर्नाटक के बेल्लारी संभव में इस कीट का प्रकोप काफी बढ़ता जा रहा है। इस संभाग के लगभग 60-70 प्रतिशत उत्पादक क्षेत्र में इसका प्रकोप फैल चुका है।
उल्लेखनीय है कि बेल्लारी जिला कर्नाटक में लालमिर्च का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। जहां गुंटूर वैरायटी और हाईब्रिड किस्म- दोनों श्रेणियों के लालमिर्च का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में लालमिर्च की फसल अभी महज 35 से 50 दिन पुरानी है और आरंभिक अवस्था में होने के कारण वहां ब्लैक थ्रिप्स कीट का प्रकोप पैदा होने की सूचना नहीं है।
आंध्र प्रदेश के रायल सीमा संभाग में कहीं-कहीं इस कीड़ें का छिटपुट प्रकोप है मगर वह ज्यादा खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंचा है। इन क्षेत्रों में उत्पादक सावधानी बरत रहे हैं। उन्होंने कीटनाशी रसायनों का छिड़काव आरंभ कर दिया है।
बेल्लारी के हजारी स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख ने स्वीकार किया है कि इस जिले में लालमिर्च की फसल पर बलैक थ्रिप्स का प्रकोप पिछले साल से ज्यादा गंभीर है और खासकर काली मिटटी वाले क्षेत्र में इसका काफी असर देखा जा रहा है।
किसानों ने रक्षात्मक उपाय शुरू कर दिया है। किसानों को इस कीट के प्रति जागरूक किया जा रहा है ताकि फसल को नुकसान कम से कम हो सके।