नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। रियल एस्टेट कंस्लटिंग फर्म एनारॉक के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा कि हर उद्योग में कुछ गलत लोग होते हैं और सिर्फ उनके आधार पर पूरे उद्योग को दागदार नहीं कहा जा सकता है।
अनुज पुरी से आईएएनएस ने पूछा कि आखिर कुछ बड़े बिल्डर के वित्तीय संकट में फंसे होने, दिवालिया होने या कॉरपोरेट गवर्नेस के मामलों में घिरे होने के बावजूद रियल एस्टेट सेक्टर का प्रदर्शन अच्छा कैसे है?
इस पर पुरी ने बताया कि हर उद्योग में कुछ गलत लोग होते हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वह उद्योग ही दागदार है।
हाल में ही 25 मार्च को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने नोएडा की रियल्टी कंपनी सुपरटेक को दिवालिया घोषित किया है। इस पर पुरी ने कहा कि ये मामले तब के हैं, जब रेरा जैसे नियम लागू नहीं थे।
उन्होंने कहा कि अब इस सेक्टर पर सख्त नियम कायदे लागू हैं और अदालतें डेवलपर्स द्वारा पहले की गयी गलतियों की सजा देने में बहुत सक्रिय हैं।
पुरी ने बताया कि भारत का रियल एस्टेट सेक्टर पारंपरिक रूप से मजबूत मांग और आपूर्ति वाला रहा है और इसी कारण इसमें घरेलू और विदेशी निवेश भी देखने का मिलता है। नियमों के सख्त होने से ग्राहकों की धारणा मजबूत होती है जिससे आने वाले वर्षो में यह निवेश और भी बढ़ेगा।
उन्होंने बिल्डर के दिवालिया घोषित होने के मामले में घर खरीदारों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने के सवाल पर कहा कि यह बहुत लंबी प्रक्रिया है क्योंकि घर खरीदारों को अदालत के आदेश तक इंतजार करना ही होता है।
उन्होंने कहा कि अभी यह परिदृश्य बहुत गुलाबी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इस तरह के मामले के निपटने में लंबा समय लग जाता है। हालांकि, इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह कह दिया है दिवाला प्रक्रिया में घरखरीदारों को भी क्रेडिटर समझा जाये।
कमर्शियल रियल्टी स्पेस की मांग में आयी तेजी पर पुरी ने कहा कि कोरोना महामारी ने इस बाजार के पुराने माहौल को बाधित किया है और पिछले एक साल के दौरान तो इसके अस्तित्व पर ही सवालिया निशान खड़ा हो गया था।
उन्होंने कहा कि उस वक्त कंपनियां लीज को लेकर दोबारा बात करना चाह रही थीं क्योंकि अधिकतर कर्मचारी ऑफिस से काम नहीं कर रहे थे और सरकार ने भी कर्मचारियों की संख्या पर पाबंदी लगाई हुई थी।
पुरी ने कहा कि अब वह समय गुजर गया है और यह बाजार दोबारा मजबूती से खड़ा हो रहा है। हालांकि कई कंपनियों , खासकर आईटी कंपनियों ने हाइब्रिड मॉडल अपना लिया है लेकिन फिर भी अधिकतर ऑफिस में कर्मचारी आने लगे हैं।
--आईएएनएस
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