iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में साबुत चना एवं इसकी दली दाल का भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा है। चना का खुला बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा है जिससे किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है।
इतना ही नहीं बल्कि सरकारी एजेंसी- नैफेड का चना टेंडर भी ऊंचे दाम पर पास हो रहा है जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि हाजिर में इसका स्टॉक कम है जबकि इसकी खरीद में दाल मिलर्स एवं स्टॉकिस्टों की अच्छी मांग बनी हुई है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि ऊंचे दाम पर भी नैफेड के चना की अच्छी बिक्री हो रही है। आई ग्रेन इंडिया का मानना है कि सरकारी स्टॉक में जैसे-जैसे गिरावट आती जाएगी वैसे-वैसे इसकी मांग एवं खपत में सुधार आता रहेगा।
चना का नया माल फरवरी-मार्च में आना शुरू होगा और तब तक घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने में सरकारी स्टॉक का अहम योगदान रहेगा। चना का भाव ऊंचा होने से किसान इसके बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं।
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि चना दाल का औसत थोक बाजार भाव 19 नवम्बर 2023 को बढ़कर 7416.72 रुपए प्रति क्विंटल का पहुंच गया जो 19 अक्टूबर 2023 के मूल्य 7264.39 रुपए प्रति क्विंटल से 0.71 प्रतिशत तथा 19 नवम्बर 2022 के औसत दाम 6473.33 रुपए प्रति क्विंटल से 14.57 प्रतिशत ज्यादा है।
इसी तरह चना दाल का औसत खुदरा मूल्य 19 नवम्बर 2023 को बढ़कर 83.01 रुपए प्रति किलो पर पहुंचा जो 19 अक्टूबर 2023 के औसत भाव 82.77 रुपए प्रति किलो से 0.29 प्रतिशत तथा 19 नवम्बर 2022 को प्रचलित औसत दाम 73.89 प्रतिशत से 12.34 प्रतिशत अधिक है।
चना रबी सीजन का सबसे प्रमुख दलहन है। देश में उत्पादित दलहनों के कुल उत्पादन में इसकी भागीदार 45-50 प्रतिशत के करीब रहती है इसलिए इस पर विशेष नजर रहती है।
चना की बिजाई प्रक्रिया पहले ही आरंभ हो चुकी है लेकिन गत सप्ताह तक राष्ट्रीय स्तर पर इसका क्षेत्रफल पिछले साल से कुछ कम था। आमतौर पर दीपावली पर्व के बाद रबी फसलों की बिजाई जोर पकड़ती है इसलिए उम्मीद की जा रही है कि अब चना की बिजाई जोरदार ढंग से होने लगेगी।
जब तक नए माल की आवक शुरू नहीं होती तब तक चना का भाव ऊंचे स्तर पर मजबूत बना रह सकता है। त्यौहारी मांग समाप्त होने के बावजूद इसके दाम में ज्यादा नरमी आना मुश्किल लगता है। सरकारी चना दाल की कीमत कुछ नीचे होने का खुले बाजार भाव पर कोई खास असर नहीं देखा जा रहा है।