नई दिल्ली, 3 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के निर्माण के लिए धन देने में असमर्थता व्यक्त करने के बाद दिल्ली सरकार के विज्ञापनों पर खर्च पर नाराजगी जताई।न्यायमूर्ति एस.के. कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार को पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों पर खर्च किए गए धन का विवरण देने के लिए दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा पेश करने का आदेश दिया।
दिल्ली सरकार के वकील के यह कहने के बाद कि धन की कमी है, शीर्ष अदालत ने सवाल उठाया़ "यदि आपके पास विज्ञापनों के लिए पैसा है, तो आपके पास उस परियोजना के लिए पैसा क्यों नहीं है जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी?"
अदालत ने संकेत दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो वह विज्ञापन के लिए आवंटित धनराशि को रैपिड रेल परियोजना को पूरा करने में लगाने का आदेश भी दे सकती है।
न्यायमूर्ति कौल ने मौखिक रूप से कहा, "आप चाहते हैं कि हमें पता चले कि आप कौन सा फंड कहां खर्च कर रहे हैं। विज्ञापन के लिए सभी फंड इस परियोजना के लिए लगाए जाएंगे। क्या आप उस तरह का आदेश चाहते हैं? आप इसके लिए मजबूर कर रहे हैं।"
अदालत ने ये टिप्पणियां तब कीं जब दिल्ली सरकार ने सूचित किया कि राष्ट्रीय राजधानी को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और मेरठ शहरों से जोड़ने के लिए बनाए जा रहे सेमी-हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर में अपने हिस्से के योगदान के लिए उसके पास पैसा नहीं है।
अदालत ने आदेश दिया, "दिल्ली सरकार ने साझा परियोजना के लिए धन का योगदान करने में असमर्थता व्यक्त की है। चूंकि इस परियोजना में धन की कमी एक बाधा है, इसलिए हम दिल्ली के एनसीटी से एक हलफनामा दायर करने का आह्वान करते हैं, जिसमें विज्ञापन के लिए उपयोग किए गए धन का विवरण दिया जाए क्योंकि परियोजना काफी महत्वपूर्ण है। पिछले तीन वित्त वर्षों के लिए विवरण प्रस्तुत किया जाए।"
--आईएएनएस
एकेजे