न्यूयॉर्क, 23 अगस्त (आईएएनएस)। एआई और इसके दुष्प्रभावों पर बढ़ती बहस के बीच, रिसर्चर्स का कहना है कि हेल्थकेयर में चैटजीपीटी सभी मेडिकल स्पेशलिटीज और क्लीनिकल केयर में लगभग 72 प्रतिशत और फाइनल डायग्नोसिस करने में 77 प्रतिशत सटीक है।मास जनरल ब्रिघम के जांचकर्ताओं के नेतृत्व में की गई स्टडी में हेल्थकेयर में पहुंच और दक्षता बढ़ाने के लिए जेनेरिक एआई की क्षमता पर प्रकाश डाला गया।
जर्नल ऑफ मेडिकल इंटरनेट रिसर्च में प्रकाशित स्टडी में कहा गया है कि लार्ज-लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट ने सभी मेडिकल स्पेशलिटीज में प्राइमरी केयर और इमरजेंसी सेटिंग्स दोनों में समान रूप से अच्छा परफॉर्म किया।
मास जनरल ब्रिघम में एसोसिएट अध्यक्ष और स्ट्रेटजिक इनोवेशन लीडर मार्क सुक्की ने कहा, ''कोई रियल बेंचमार्क मौजूद नहीं है, लेकिन हमारा अनुमान है कि यह परफॉर्मेंस किसी ऐसे व्यक्ति के स्तर पर होगा जिसने अभी-अभी मेडिकल स्कूल से ग्रेजुएट किया है, जैसे कि एक इंटर्न। यह हमें बताता है कि सामान्य तौर पर एलएलएम में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए एक सहायक टूल बनने और प्रभावशाली सटीकता के साथ सपोर्ट क्लीनिकल डिसिजन लेने में सहायता करने की क्षमता है।''
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बदलाव तेज गति से हो रहे हैं और हेल्थ केयर सहित कई इंडस्ट्रीज में बदलाव ला रहे हैं। लेकिन क्लीनिकल केयर के पूर्ण दायरे में सहायता करने के लिए एलएलएम की क्षमता की अभी तक स्टडी नहीं की गयी है।
टीम ने एक स्ट्रक्चर ब्लाइंड प्रोसेस में डिफरेंशियल डायग्नोसिस, डायग्नोस्टिक टेस्टिंग, फाइनल डायग्नोसिस और मैनेजमेंट पर चैटजीपीटी की सटीकता की तुलना की, सही जवाबों पर प्वाइंट्ल दिए और चैटजीपीटी के परफॉर्मेंस और विग्नेट की डेमोग्राफिक जानकारी के बीच संबंधों का आकलन करने के लिए लीनियर रिग्रेशन का उपयोग किया।
चैटजीपीटी डिफरेंशियल डायग्नोसिस करने में सबसे कम परफॉर्म करने वाला था, जहां यह केवल 60 प्रतिशत सटीक था। यह क्लीनिकल मैनेजमेंट डिसिजन में केवल 68 प्रतिशत सटीक था, जैसे कि यह पता लगाना कि सही डायग्नोसिस पर पहुंचने के बाद मरीज का इलाज किस दवा से किया जाए।
चैटजीपीटी के जवाबों में जेंडर बायस नहीं दिखाया गया और इसका समग्र परफॉर्मेंस प्राइमरी और इमरजेंसी केयर दोनों में स्थिर था।
लेखकों का कहना है कि इससे पहले कि चैटजीपीटी जैसे टूल्स को क्लीनिकल केयर में एकीकरण के लिए विचार किया जा सके, इसे अधिक बेंचमार्क रिसर्च और रेगुलेटरी गाइडेंस की आवश्यकता है।
--आईएएनएस
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