कोलकाता, 24 मई (आईएएनएस)। रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ और इस्कॉन के संतों के खिलाफ अपनी टिप्पणियों पर समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा की गई आलोचना के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी संत समाज के निशाने पर आ गई हैं।
इस मामले पर अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से जिस प्रकार की अवांछित टिप्पणी भारत सेवाश्रम संघ, रामकृष्ण मिशन समेत सनातन हिंदू धर्म के भगवाधारी संन्यासियों के ऊपर की गई, वह ममता बनर्जी की 'राजनीतिक मृत्यु' का कारण बनेगा।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की भूमि है। संतों की भूमि पर संतों को गालियां देना उचित नहीं है। बंगाल की भूमि पर संन्यासी विद्रोह की गाथा लिखी जा रही है। सनातन धर्म की विजय पताका को दुनिया की कोई ताकत पराजित नहीं कर सकती है। अखिल भारतीय संत समिति कोलकाता में होने वाली पदयात्रा को पूर्ण समर्थन देगी।
जितेंद्रानंद सरस्वती के इस ऐलान के बाद कोलकाता की सड़कों पर संत समाज की ओर से ममता बनर्जी के बयान के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया गया, जिसमें हजारों संतों को हुजूम उमड़ा नजर आया।
बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सीएम ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर राजनीतिक तुष्टीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए रामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ और इस्कॉन जैसी संस्थानों को अपमानित करने का आरोप लगाया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, "विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन के साथ भारत सेवाश्रम संघ और इस्कॉन जैसे संस्थानों की उनके सामाजिक कार्यों तथा मानवीय विकास कार्यों की वजह से दुनिया भर में तारीफ होती है। उनका एकमात्र उद्देश्य मानव मात्र की सेवा है। लेकिन, अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सार्वजनिक मंचों से इन महान संस्थानों के संन्यासियों को चेतावनी दे रही हैं। वह अपने समर्पित वोट बैंक को खुश करने के लिए तुष्टीकरण की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए ऐसा कर रही हैं।"
--आईएएनएस
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