रांची, 17 जुलाई (आईएएनएस)। तकरीबन साढ़े तीन साल से फोर्थ स्टेज के लंग्स कैंसर से जूझ रहे झारखंड के पत्रकार रवि प्रकाश की जिंदगी में मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के दो डॉक्टरों की वजह से उम्मीदों की एक नई रोशनी दाखिल हुई है।इस हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर और एचओडी डॉ कुमार प्रभाष और उनके प्रोफेसर डॉ विजय पाटिल ने उनका इलाज एक ऐसी ट्रांसप्लांट थेरेपी के जरिए निःशुल्क करने का फैसला किया है, जिसकी लागत करीब साढ़े चार लाख अमेरिकी डॉलर है। भारतीय मुद्रा में यह रकम करीब पौने पांच करोड़ रुपए है।
खास बात यह है कि रवि प्रकाश भारत के संभवतः दूसरे मरीज होंगे, जिनका इलाज इस ट्रांसप्लांट थेरेपी के जरिए होगा। इस थेरेपी को मेडिकल भाषा में ‘कार टी सेल (NS:SAIL) थेरेपी’ के नाम से जाना जाता है।
रवि प्रकाश बताते हैं कि लंग्स कैंसर का उनका संक्रमण उनके दिमाग तक पहुंच चुका है और इसके लिए उन्हें रेडिएशन लेना पड़ा है। उनका कैंसर पहले नॉन स्मॉल था, जो अब स्मॉल सेल में बदल गया है और इस बदलाव ने उनके इलाज के विकल्प सीमित कर दिए। इस स्थिति में इलाज के लिए कोई तय प्रोटोकॉल नहीं है। स्थिति यह कि उनके सामने मौत के इंतजार के सिवा रास्ता नहीं, लेकिन ऐसे ही वक्त पर डॉ कुमार प्रभाष और डॉ विजय पाटिल ने उनके ‘कार टी सेल थेरेपी’ का भारी लागत वाला विकल्प उनके सामने रखा। पर, उन्होंने यह थेरेपी मुफ्त में करने की पहल की है।
रवि प्रकाश कहते हैं, "मेरे लिए यह रकम इतनी बड़ी है कि शायद मैं मौत को चुनता, इस थेरेपी को नहीं।"
इस थेरेपी से भारत में पहला ट्रांसप्लांट डॉ विजय पाटिल ने ही किया था। रविप्रकाश को यह ट्रांसप्लांटेशन ठाणे (मुंबई) के टाइटन (NS:TITN) मेडिसिटी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में किया जाएगा। इसके लिए वह 22 जुलाई को मुंबई रवाना होंगे।
दरअसल, रवि प्रकाश कैंसर के खिलाफ हौसले के साथ संघर्ष को लेकर पूरे देश में चर्चित हुए हैं। बीबीसी ने कैंसर से उनके संघर्ष पर कई कड़ियों वाली डॉक्यूमेंटरी प्रसारित की है। लंग्स कैंसर पर काम करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लंग कैंसर ने उन्हें इस साल के प्रतिष्ठित पेशेंट एडवोकेसी एजुकेशन अवार्ड के लिए चुना है। उन्हें सितंबर में सैन डिएगो में होने वाले वर्ल्ड कांफ्रेंस ऑन लंग कैंसर में यह अवार्ड प्रदान किया जाना है।
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