नई दिल्ली, 18 जुलाई (आईएएनएस)। देश भर में कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इसी सिलसिले में भारतीय सेना के लॉजिस्टिक विंग की पहली महिला ऑफिसर याशिका हटवाल ने कारगिल के अपने अनुभवों को बताया।
दरअसल, कारगिल की लड़ाई में भारतीय सेना के लॉजिस्टिक विंग की महिला ऑफिसर कैप्टन याशिका हटवाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रेग्नेंट होने के बावजूद उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया। आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने कारगिल की अपनी यादें साझा की।
कैप्टन यासिका त्यागी ने आईएएनएस को बताया, 1997 में जब मेरी पोस्टिंग लेह लद्दाख में की गई, उस समय भारतीय सेना की मैं पहली महिला ऑफिसर थी, जिसकी हाई एल्टीट्यूड और एक्सट्रीम कोल्ड क्लाइमेट में पोस्टिंग की गई थी। दो साल तक वहां पर तैनाती के दौरान ऐसे विपरीत मौसम में किस तरह से फौज काम करती है, इसके बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। जब 1999 में कारगिल की जंग छिड़ गई, तब यह मेरे काम आया।
उन्होंने बताया, हाई एल्टीट्यूड में लॉजिस्टिक का काम बहुत ही अलग तरीके से होता है। वहां जब दो-चार महीनों के लिए सड़कें खुलती हैं, तो उस दौरान साल भर के लिए जरूरी सामानों को लाना पड़ता है, ये मेरे लिए सीखने वाली नई चीज थी। जब कारगिल की जंग छिड़ी, तो पाकिस्तानियों ने हमारे सड़कों पर अपने बंकर बना लिए थे, ताकि वो हमारी लॉजिस्टिक सप्लाई को तोड़ सकें। ऐसे समय में जब भारतीय सेना वहां जुट रही थी और पाकिस्तानी सड़कों पर गोले बरसा रहे थे. उसमें लॉजिस्टिक बनाए रखना एक चैलेंज था।
याशिका हटवाल ने बताया, कारगिल की लड़ाई 15 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ी जा रही थी। वहां पर तापमान -25 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे मौसम में आपको ऑक्सीजन नहीं मिलता है, सांस नहीं ले सकते। दुश्मन के साथ लड़ाई से पहले हमें मौसम से लड़ना था। ऐसे समय में हमे अपने सैनिकों को ठंड से लड़ने के लिए भी तैयार करना था, लेकिन भारतीय सेना बहुत प्रोफेशनल और वेल ट्रेंड आर्मी है। हमारे सैनिकों का मनोबल बहुत ऊंचा है।
उन्होंने अपने प्रेग्नेंसी को लेकर बताया, "उस समय मैं प्रेग्नेंट थी, लेकिन प्रेग्नेंसी कोई मेडिकल कंडीशन नहीं होती। वहां हाई एल्टिट्यूड था, सांस लेने में कठिनाई है और पेट में बच्चा है। उचित खाना नहीं मिल रहा है। कुछ भी गलत हो सकता था, लेकिन जब आप बड़े उद्देश्य के लिए खड़े होते हैं। खुद से ऊपर खुद के लक्ष्य को रखते हैं। तो ऐसे समय में हिम्मत अपने आप आती है। यही शायद मेरे साथ हुआ।
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