नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और टीएमसी के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी के बीच मनरेगा को लेकर मंगलवार को लोकसभा में तीखी बहस हुई। लोकसभा में प्रश्नकाल की कार्यवाही के दौरान टीएमसी के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मनरेगा के तहत मजदूरों को 100 दिन का काम देना केंद्र सरकार की अनिवार्य ड्यूटी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में मजदूरों को 100 दिन का काम नहीं दिया जा रहा है।
टीएमसी सांसद के आरोपों पर लोकसभा में ही पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के 'एक रुपया भेजता हूं तो 15 पैसे पहुंचते हैं' वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा कि यह मोदी सरकार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं, 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा।'
चौहान ने मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने इस योजना का दुरुपयोग किया है, योजना में अनियमितता की है, मनरेगा के फंड को डायवर्ट किया है और योजना का नाम तक बदल दिया है। बंगाल में मनरेगा में गड़बड़ी के मामले में एफआईआर तक दर्ज हुई है। लेकिन, वहां की सरकार जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा का पैसा मजदूरों को रोजगार देने के लिए है। अगर कोई इसका दुरुपयोग कर रहा है, अनियमितता कर रहा है, गाइडलाइन से बाहर जा रहा है और फंड को डायवर्ट कर रहा है, तो उस पर वे (केंद्र सरकार) जरूर कार्रवाई करेंगे। सरकार जनता का पैसा किसी को नहीं खाने देगी।
चौहान ने जोर देते हुए कहा कि मनरेगा मजदूरों को रोजगार देने की योजना है। इसका पैसा मजदूरों के लिए है, किसी के खाने (भ्रष्टाचार) के लिए नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मनरेगा के तहत 100 दिन का रोजगार देना सरकार की प्रतिबद्धता है। लेकिन, 100 दिन का रोजगार मांगने पर ही दिया जाता है, कई परिवार ऐसे हैं, जो 50 दिन का ही रोजगार मांगते हैं। जो जितने दिन का रोजगार मांगता है, सरकार उन्हें उतने दिन का रोजगार देती है।
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