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राज्यसभा सभापति पर विपक्ष ने लगाया पक्षपात का आरोप

प्रकाशित 10/08/2024, 12:35 am
राज्यसभा सभापति पर विपक्ष ने लगाया पक्षपात का आरोप

नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। संसद सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में विपक्ष व आसन के बीच तनातनी काफी बढ़ गई। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अजय माकन ने कहा कि राज्यसभा में जो भी हुआ, वह अप्रत्याशित था। विपक्ष को सभापति का व्यवहार पक्षपातपूर्ण लगता है। राज्यसभा ऐसा सदन है, जो पूरे देश में मापदंड तय करता है। यहां से विभिन्न राज्यों के सदन सीख लेते हैं। न केवल कांग्रेस बल्कि पूरे विपक्ष को लगता है कि सदन में पक्षपात होता है। राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर एक प्रश्न के जवाब में अजय माकन ने कहा कि फिलहाल सारे विकल्प खुले हुए हैं। रुल बुक और संविधान के मुताबिक जो सही होगा, वह काम करेंगे।

दरअसल, कांग्रेस का कहना है कि राज्यसभा में जो महत्व विपक्षी दलों को मिलना चाहिए, वह महत्व उन्हें नहीं मिल रहा है। उनकी आवाज दबाई जा रही है, ऐसे में लोकतंत्र कैसे जिंदा रहेगा।

शुक्रवार को राज्यसभा में विपक्ष, भाजपा सांसद घनश्याम तिवाड़ी की टिप्पणी से नाराज दिखा। हालांकि, यह टिप्पणी कई दिन पहले की गई थी। विपक्ष का कहना था कि तिवाड़ी ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए अपमानजनक व अस्वीकार्य शब्दों का प्रयोग किया है।

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी का कहना है कि इसको लेकर विशेषाधिकार का नोटिस दिया गया। लेकिन, उन्हें इस नोटिस का कोई जवाब नहीं मिला। इसी मुद्दे पर शुक्रवार को पक्ष व विपक्ष के बीच सदन में गहमा गहमी हुई। इस बीच जया बच्चन की टिप्पणी से सदन का माहौल और अधिक गर्मा गया।

तिवारी ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता जब भी सदन में बात रखना चाहते हैं तो उन्हें विशेष तरजीह मिलती है। हालांकि, कुछ समय से ऐसा नहीं हो रहा है। नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का पांच दशक का लंबा संसदीय अनुभव है, बावजूद इसके सदन में उनका माइक बंद किया जाता है। वह अपनी बात भी नहीं कह पाते हैं। उन्हें बोलने से रोका जाता है।

उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को बोलने से रोकना देश के 140 करोड़ लोगों की आवाज दबाना है। घनश्याम तिवाड़ी ने जिस तरह की भाषा सदन में बोली, वह अशोभनीय थी।

वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे लोकतंत्र की बुलंद आवाज है। उन्हें संसदीय राजनीति का 50 साल लंबा अनुभव है। संसद के भीतर उनको अपमानित करना, उन्हें बोलने न देना, माइक बंद कर देना और सत्ता में बैठे लोगों द्वारा वरिष्ठ महिला सदस्यों को अपमानित करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

--आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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