नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर दरगाह हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के चीफ सैयद जावेद कुतुबी की प्रतिक्रिया आई है।
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड के अंदर सबसे बड़ी बात यह थी कि जो हमारे बुजुर्ग हुआ करते थे, जो अपनी वसीयत के मुताबिक अपनी प्रॉपर्टी को अल्लाह के नाम पर वक्फ करते थे, वक्फ का फायदा उन लोगों को हुआ करता था, जो मजलूम थे। इस पैसे से उनकी मदद की जाती थी। उनके लिए इन पैसों को काम में लिया जाता था।
उन्होंने कहा कि कब्रिस्तान, मस्जिदें और दरगाहों के निजाम के लिए वक्फ बनाया गया है। उनकी प्रॉपर्टीज से जो इनकम होती थी, उनसे गरीबों के कल्याण के काम होते थे। वक्फ एक्ट में संशोधन पहले ही हो जाना चाहिए था, अब जो इसमें संशोधन हो रहा है, उससे मुस्लिमों को उनका पूरा हक मिलेगा। इससे सिस्टम में पारदर्शिता आएगी। सबसे बड़ी बात कि महिलाओं के लिए इनके अंदर कुछ बड़े कदम उठाए गए है, जो बेहद जरूरी था। उनके हक को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नए संशोधन के जरिए बोर्ड में गैर मुस्लिम को शामिल किए जाने की भी बात हो रही है, जिससे हमें कोई हर्ज नहीं है और दूसरे लोगों को भी हर्ज नहीं होना चाहिए। सन 1972 से हमारा वक्फ के साथ मसला चल रहा है। हमारा कहना है की सूफी संत का दरगाहों से अलग निजाम है और हम चाहते हैं कि इसी तरह से दरगाहों के निजाम को चलाते रहेंं, लेकिन वक्फ ने हमसे ये हक छीन रखा है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में बिल के पक्ष में बोलते हुए कहा, "इस बिल से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होता। किसी के अधिकार छीनने की बात तो भूल ही जाइए। यह बिल उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है, जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले। विपक्ष मुसलमानों को गुमराह कर रहा है। कल रात मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल मेरे पास आए। कई सांसदों ने मुझे बताया कि माफियाओं ने वक्फ बोर्डों पर कब्जा कर लिया है। कुछ सांसदों ने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से इस विधेयक का समर्थन करते हैं, लेकिन अपनी राजनीतिक पार्टियों के कारण ऐसा नहीं कह सकते। हमने इस विधेयक पर देश भर में बहुस्तरीय विचार-विमर्श किया है।"
--आईएएनएस
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