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चिराग पासवान का 'लेटरल एंट्री' पर बयान, 'हम इससे सहमत नहीं, सरकार के समक्ष बात रखूंगा'  

प्रकाशित 20/08/2024, 01:30 am
चिराग पासवान का \'लेटरल एंट्री\' पर बयान, \'हम इससे सहमत नहीं, सरकार के समक्ष बात रखूंगा\'  
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नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने ‘लेटरल एंट्री’ पर मचे सियासी बवाल को लेकर सोमवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी इससे कतई सहमत नहीं है। मैं खुद इसे सरकार के समक्ष रखूंगा।केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा, ''मैं और मेरी पूरी पार्टी स्पष्ट राय रखती है कि सरकारी को कोई भी नियुक्तियां, उसमें आरक्षण के प्रावधानों को ध्यान में रखकर करना चाहिए। निजी क्षेत्रों में ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में कोई भी सरकारी नियुक्ति होती है, चाहे किसी भी स्तर पर हो, उसमें आरक्षण के प्रावधानों को ध्यान रखना चाहिए। इसमें नहीं रखा गया है, यह हमारे लिए चिंता का विषय है। मैं खुद सरकार का हिस्सा हूं और मैं इसे सरकार के समक्ष रखूंगा। हां... मेरी पार्टी इससे कतई सहमत नहीं है।''

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना पर चिराग पासवान ने कहा कि यह गलत है, इस तरह से अगर आप सेलेक्टिव होकर आपराधिक घटनाओं को देखेंगे। एनडीए के राज्यों की घटनाओं को विपक्ष उठाएगा। लेकिन, अपने राज्य में हुई घटना पर खामोश रहेगा। यह गलत है। मैं कहता हूं कि यह सोच ही गलत है। जरूरत है कि आप लोग एकजुट होकर इस आपराधिक मानसिकता के खिलाफ लड़ें। सत्तापक्ष हो या विपक्ष, कोई भी इस घटना को बर्दाश्त नहीं कर सकता। ऐसे में जब तक हम एक साथ नहीं आएंगे। इस तरह के अपराधियों को बल मिलता रहेगा। जरूरत है ऐसे उदाहरण रखने की, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसे जघन्य व निंदनीय घटना को अंजाम नहीं दे सके।

बता दें कि विभिन्न मंत्रालयों में सचिव और उपसचिव की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के जरिए होती है। यह देश की सर्वाधिक कठिनतम परीक्षाओं में शुमार है। प्रतिवर्ष इसमें लाखों अभ्यर्थी हिस्सा लेते हैं, लेकिन कुछ को ही सफलता मिल पाती है।

वहीं, केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री की व्यवस्था विकसित करने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत बिना यूपीएससी एग्जाम दिए अभ्यर्थी इन पदों पर दावेदारी ठोक सकते हैं। इसी को लेकर राजनीतिक संग्राम मचा हुआ है। विपक्षी दलों का कहना है कि इससे दलित, ओबीसी और आदिवासी समुदाय के लोगों के हितों पर कुठाराघात पहुंचेगा। ऐसे में इस व्यवस्था को जमीन पर उतारने से बचना चाहिए।

साल 2018 में केंद्र सरकार ने इस व्यवस्था को विकसित करने का फैसला किया था। जिसके अंतर्गत कोई भी अभ्यर्थी मंत्रालयों में सचिव और उप सचिव जैसे पदों को हासिल कर सकता है।

--आईएएनएस

एसके/

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