💎 आज के बाजार में सबसे स्वस्थ कंपनियों को देखेंशुरू करें

गोविंद बल्लभ पंत : सरकारी पैसे से सिर्फ चाय, नाश्ते के लिए जेब से खर्च करने का रिवाज शुरू करने वाले शख्स

प्रकाशित 10/09/2024, 02:19 pm
गोविंद बल्लभ पंत : सरकारी पैसे से सिर्फ चाय, नाश्ते के लिए जेब से खर्च करने का रिवाज शुरू करने वाले शख्स

नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)। स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और वकील, एक ऐसी शख्सियत, जिन्हें देशप्रेम की भावना ने सियासत में आने पर मजबूर कर दिया। उन्हें भारत को आजादी दिलाने और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ सरकार गठन में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है, उनका नाम है गोविंद बल्लभ पंत।

उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे पंत को आधुनिक भारत के वास्तुकारों में से एक के रूप में याद किया जाता है। जमींदारी प्रथा के धुर विरोधी भी थे। इतना ही नहीं संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने में अहम योगदान भी निभाया। उसूल पसंद भी कम नहीं!

गोविंद बल्लभ पंत के उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बनने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल, अंग्रेजों के खिलाफ अभियान को लेकर साल 1932 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और देहरादून की जेल में बंद किया गया। इत्तेफाक था कि उसी जेल में पंडित जवाहरलाल नेहरू भी बंद थे। इस दौरान गोविंद बल्लभ पंत और जवाहर लाल नेहरू में जान-पहचान हुई।

बताया जाता है कि जवाहर लाल नेहरू उनसे काफी प्रभावित हुए थे। यही कारण है कि जब साल 1937 में कांग्रेस ने सरकार बनाने का निर्णय लिया, तो जवाहर लाल नेहरू ने ही गोविंद बल्लभ पंत के नाम की देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए सिफारिश की थी। जिसके बाद वो प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। वह 1946 से दिसंबर 1954 तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे।

गोविंद बल्लभ पंत 8 साल तक इस पद पर रहे। उनके नाम अनोखा कीर्तिमान था कि वह आजादी से पहले और बाद में भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। ऐसा कहा जाता है कि वह खुद अपनी जेब से चाय और नाश्ता के लिए पैसे देते थे। एक सरकारी बैठक में जब चाय और नाश्ते का बिल उनके पास आया तो उन्होंने उसे पास करने से मना कर दिया।

उन्होंने कहा था कि सरकारी बैठकों में सरकारी खर्चों से सिर्फ चाय मंगवाने का नियम है, ऐसे में नाश्ता मंगाने वाले व्यक्ति को बिल खुद देना होगा। उन्होंने कहा था कि सरकारी खजाने पर सिर्फ देश की जनता का हक है, न की मंत्रियों का।

देश का सबसे चर्चित राम जन्मभूमि मामला उन्हीं के दौर में शुरू हुआ था। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने राम मंदिर के जिस विवाद का फैसला सुनाया, उसकी शुरुआत साल 1949 में हुई थी और तब गोविंद बल्लभ पंत राज्य के मुख्यमंत्री थे। उनकी सूझबूझ का नतीजा था कि शहर में इसे लेकर भड़की हिंसा को जल्द ही शांत करा दिया गया था।

अयोध्या के मुद्दे को जिस तरह उन्होंने अपनी सूझबूझ के साथ संभाला था, उससे तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू काफी प्रभावित हुए थे।

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को देवभूमि उत्तराखंड (पहले उत्तर प्रदेश) के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की और बाद में वकील के तौर पर काम किया।

वकील के तौर पर उन्होंने 1925 में हुए काकोरी ट्रेन एक्शन के क्रांतिकारियों राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खां समेत कई स्वतंत्रता सेनानियों को डिफेंड किया था। गोविंद बल्लभ पंत ने साल 1921 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा और विधानसभा के लिए चुने गए। उस समय उत्तर प्रदेश यूनाइटेड प्रोविंसेज ऑफ आगरा और अवध के नाम से जाना जाता था।

साल 1940 के सत्याग्रह आंदोलन और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। आजादी के बाद साल 1955 से 1961 तक गोविंद बल्लभ पंत ने केंद्रीय गृह मंत्री का जिम्मा संभाला। 1957 में उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था।

एक लंबा इतिहास गढ़ने के बाद 7 मार्च 1961 को गोविंद बल्लभ पंत ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

--आईएएनएस

एसके/

नवीनतम टिप्पणियाँ

हमारा ऐप इंस्टॉल करें
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
फ्यूज़न मीडिया आपको याद दिलाना चाहता है कि इस वेबसाइट में मौजूद डेटा पूर्ण रूप से रियल टाइम एवं सटीक नहीं है। वेबसाइट पर मौजूद डेटा और मूल्य पूर्ण रूप से किसी बाज़ार या एक्सचेंज द्वारा नहीं दिए गए हैं, बल्कि बाज़ार निर्माताओं द्वारा भी दिए गए हो सकते हैं, एवं अतः कीमतों का सटीक ना होना एवं किसी भी बाज़ार में असल कीमत से भिन्न होने का अर्थ है कि कीमतें परिचायक हैं एवं ट्रेडिंग उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। फ्यूज़न मीडिया एवं इस वेबसाइट में दिए गए डेटा का कोई भी प्रदाता आपकी ट्रेडिंग के फलस्वरूप हुए नुकसान या हानि, अथवा इस वेबसाइट में दी गयी जानकारी पर आपके विश्वास के लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।
फ्यूज़न मीडिया एवं/या डेटा प्रदाता की स्पष्ट पूर्व लिखित अनुमति के बिना इस वेबसाइट में मौजूद डेटा का प्रयोग, संचय, पुनरुत्पादन, प्रदर्शन, संशोधन, प्रेषण या वितरण करना निषिद्ध है। सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकार प्रदाताओं एवं/या इस वेबसाइट में मौजूद डेटा प्रदान करने वाले एक्सचेंज द्वारा आरक्षित हैं।
फ्यूज़न मीडिया को विज्ञापनों या विज्ञापनदाताओं के साथ हुई आपकी बातचीत के आधार पर वेबसाइट पर आने वाले विज्ञापनों के लिए मुआवज़ा दिया जा सकता है।
इस समझौते का अंग्रेजी संस्करण मुख्य संस्करण है, जो अंग्रेजी संस्करण और हिंदी संस्करण के बीच विसंगति होने पर प्रभावी होता है।
© 2007-2024 - फ्यूजन मीडिया लिमिटेड सर्वाधिकार सुरक्षित