नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। साल 2018, मार्च के महीने में चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए महज दो कार्यकाल की अनिवार्यता को दो-तिहाई बहुमत से खत्म कर दिया। और यहां से शुरू हुआ शी जिनपिंग का चीन में आजीवन राष्ट्रपति बनने का सफर। साथ ही यही वह क्षण था जब भारत को अपनी सुरक्षा के लिए किसी गुट में न शामिल होने नीति पर फिर से विचार करने की जरूरत महसूस हुई, क्योंकि चीन 'स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स' (विरोधी को चारों तरफ से घेरने) की नीति पर आगे बढ़ रहा था। इस नीति के तहत चीन हिंद महासागर क्षेत्र में बंदरगाहों और सैन्य ठिकानों का विकास कर रहा है। जिससे भारत को चारों तरफ से घेरा जा सके।
इसके लिए चीन ने अपने कर्ज जाल का सहारा लेकर श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह 99 सालों के लिए लीज पर ले लिया। चीन ने म्यामार, बांग्लादेश, नेपाल, थाईलैंड, मालदीव जैसे भारत के निकटतम पड़ोसी देशों में अपना हस्तक्षेप बढ़ाकर भारत को घेरने की शुरुआत की। साथ ही अपनी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) योजना के तहत पाकिस्तान आक्यूपाइड कश्मीर के रास्ते चीन से सीधे सड़क को ग्वादर बंदरगाह तक ले जाने के लिए काम कर रहा है। ग्वादर बंदरगाह अरब की खाड़ी में चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण महत्व रखता है।
चीन अपने अधिकतर आयात और निर्यात के लिए मलक्का स्टेट पर निर्भर है। मलक्का स्टेट भारत के राज्य अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के निकट है, जहां भारतीय सेना का बेस है। इसकी वजह से चीन आपात स्थिति में इस रास्ते को अपनाने के लिए बहुत सहज कभी नहीं रहा है। यही वजह है कि चीन पाकिस्तान के रास्ते का विकल्प ढूंढने की कोशिश कर रहा है।
क्वाड को भारत में चीन की इन्ही चालों का जवाब माना जाता है। क्वाड देश न सिर्फ न सिर्फ हिंद प्रशांत क्षेत्र में खुले व्यापार के समर्थक हैं, बल्कि किसी भी क्षेत्र में किसी एक देश के दबदबे के खिलाफ है। किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्वाड के सदस्य देशों ने कई सामरिक उपाय किए हैं।
अमेरिका और जापान ने भारत को उच्च तकनीकी सामग्रियों की आपूर्ति बढ़ाई है। इनमें सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी, जो चीन के विपरीत भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत को चीन के साथ सीमा विवाद के दौरान अमेरिका और जापान का समर्थन मिला था। अमेरिकी अधिकारियों ने भारत के साथ अहम जानकारियों को भी साझा किया था, जिससे भारत को चीनी गतिविधियों की बेहतर समझ मिली। इसके अतिरिक्त, जापान ने भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की, जो चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मुकाबला करने में मददगार साबित हो रहा है।
--आईएएनएस
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