बेंगलुरु, 24 सितंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक हाई कोर्ट ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) जमीन घोटाला मामले में सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ गवर्नर द्वारा दिए गए जांच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यपाल के फैसले को सही ठहराया है।हाई कोर्ट के इस फैसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता टी.जे. अब्राहम ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा आदेश है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा, "कानून के अनुसार, जो कुछ भी ध्यान रखने की आवश्यकता थी, आज वही किया गया है। मुझे विश्वास है कि न्यायाधीश ने निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए देश भर के विभिन्न निर्णयों पर गहराई से विचार किया है। यह एक शानदार आदेश है और हम इसके लिए तैयार थे।“
अब्राहम के वकील रंगनाथ रेड्डी ने फैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सबसे पहले हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री की याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद न्यायाधीश ने पुष्टि की है कि टीजे अब्राहम द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मांगी गई मंजूरी वैध है और उन्होंने राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी को बरकरार रखा है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई सभी दलीलों को अदालत ने पूरी गंभीरता से सुना।
इस फैसले से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का रास्ता साफ हो गया है। इससे उन पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ सकता है।
इस बीच, सीएम सिद्धारमैया हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, “वह 'मुडा' मामले में किसी भी जांच से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में हाई कोर्ट के आदेश को पलट दिया जाएगा।“
ज्ञात हो कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इस निर्णय के खिलाफ ही उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
--आईएएनएस
एफएम/सीबीटी