नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। कैंसर के इलाज में हुई प्रगति से स्तन कैंसर के रोगियों के बचने की दर काफी बढ़ गई है। लेकिन मंगलवार को हुए एक नए अध्ययन से पता चला है कि कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी जैसे सामान्य उपचार रोगियों की जैविक उम्र बढ़ा सकते हैं।
अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की स्वास्थ्य विज्ञान की एक टीम द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि स्तन कैंसर के उपचार का शरीर पर प्रभाव पहले की अपेक्षा कहीं अधिक है।
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, स्तन कैंसर से बचने वाली महिलाओं में, चाहे उन्होंने कोई भी उपचार लिया हो, सेलुलर एजिंग के संकेत काफी बढ़ गए हैं। इन संकेतों में डीएनए क्षति, कोशिका वृद्धावस्था और सूजन शामिल हैं। टीम के अनुसार, इन संकेतों से थकान, याददाश्त कम होना, कमजोरी और हृदय रोग जल्दी होने का खतरा बढ़ गया है।
अध्ययन में कहा गया है कि बेहतर लक्ष्य निर्धारण और प्रबंधन के लिए विशिष्ट मार्गों को समझना महत्वपूर्ण है।
शोध की प्रमुख लेखिका और यूसीएलए में मनोचिकित्सा और बायोबिहेवियरल साइंसेज की एसोसिएट प्रोफेसर जूडिथ कैरोल ने कहा, ''हम पहली बार दिखा रहे हैं कि जो संकेत पहले कीमोथेरेपी से जुड़े माने जाते थे, वे अब रेडिएशन और सर्जरी से गुजर रही महिलाओं में भी पाए जाते हैं।''
उन्होंने कहा, ''हमने कीमोथेरेपी प्राप्त करने वाली महिलाओं में उम्र दर बढ़ने से जुड़ी बढ़ी हुई जीन अभिव्यक्ति देखने की उम्मीद की थी, हम उन महिलाओं में समान परिवर्तन देखकर आश्चर्यचकित थे जिन्होंने केवल रेडिएशन या सर्जरी ली थी।''
उन्होंने बताया कि हमने सोचा था कि केमोथेरेपी लेने वाली महिलाओं की उम्र तेजी से बढ़ेगी, लेकिन हमें यह देखकर हैरानी हुई कि सिर्फ रेडिएशन या सर्जरी लेने वाली महिलाओं की भी उम्र तेजी से बढ़ रही थी।
टीम ने आरएनए सीक्वेंसिंग का उपयोग करते हुए रक्त कोशिकाओं में जीन में आने वाले बदलाव पर नजर रखी। इसके साथ ही उम्र बढ़ने के संकेत देने वाले मार्करों पर ध्यान केंद्रित किया।
टीम ने कहा कि शोधकर्ताओं ने पाया कि डीएनए क्षति होने पर कुछ जीन्स सक्रिय हो जाते हैं। हालांकि कीमोथेरेपी का पैटर्न थोड़ा अलग था,लेकिन उन्होंने उन महिलाओं में भी बदलाव देखा, जिन्होंने कीमोथेरेपी नहीं ली थी।
--आईएएनएस
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