देहरादून, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तराखंड के पुनर्गठन मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा स्थित सभागार कक्ष में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई। इस दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच चल रहे परिसंपत्ति बंटवारे मामले पर भी मंथन हुआ।
प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पर तफसील से बात की। बताया कि उत्तराखंड जब से उत्तर प्रदेश से अलग हुआ था, तब से हम लोग परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर लगातार बातचीत करते रहे हैं। इसको लेकर कुछ दिन पहले हमारे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से बात की थी और कुछ मामले सुलझाए गए थे। हालांकि कुछ विषय ऐसे हैं जिनका निस्तारण करना अभी बाकी है।
उन्होंने आगे बताया कि पिछली मीटिंग में इस पर चर्चा हुई थी कि वन विभाग का कुछ पैसा रुका हुआ है, सिंचाई विभाग की कुछ जमीन ऐसी है, जिसको और पुनर्जीवित करने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि मीटिंग की अच्छी बात यह रही है कि सहकारिता विभाग की कुछ चीजें हमारे रिकॉर्ड में नहीं थी, लेकिन अब हमने उसका पैसा भी क्लेम किया है। करीब 10 करोड़ 44 लाख रुपए हमें लेना है और करीब तीन करोड़ 35 लाख रुपए हमें देना है। इसी तरह कृषि क्षेत्र में भी हमें एक करोड़ 13 लाख रुपए मिला है। बैठक से हमें ये फायदा हुआ कि जिन पैसों की हमें जानकारी नहीं थी, वो कागजों के माध्यम से पुनर्जीवित हुए और उसका हमें लाभ मिला।
इसी तरह सिंचाई, वन और ऊर्जा के हमारे तीन प्रमुख विभाग हैं, जिसको लेकर बातचीत जारी है। ऊर्जा का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।
मंत्री ने बताया कि वन और सिंचाई विभाग को लेकर हमने निर्देश दिया है कि अगले 10 दिनों के दौरान दोनों राज्यों के संबंधित विभाग के सचिव इस मुद्दे पर बात करें। अगर यहां से कोई रास्ता नहीं निकलता है तो अन्य स्तर पर इस पर बातचीत की जाएगी।
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