नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुजरात अदाणी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (जीएआईएमएस) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक नए शोध में पता चला है कि पिछले तीन दशक में वैश्विक स्तर पर महिलाओं में क्रोनिक किडनी रोगों (सीकेडी) के मामले लगभग तीन गुना बढ़े हैं।अमेरिका के सैन डिएगो में 23-27 अक्टूबर तक आयोजित हो रहे ‘एएसएन किडनी वीक 2024’ में प्रस्तुत शोध में कहा गया कि महिलाओं में सीकेडी से संबंधित मौतों के प्रमुख कारण टाइप 2 डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर हैं।
शोध के वरिष्ठ लेखक और जीएआईएमएस में इंडिपेंडेंट क्लिनिकल एंड पब्लिक हेल्थ रिसर्चर हार्दिक दिनेशभाई देसाई ने कहा, ''इसके लिए तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप, लक्षित रोकथाम कार्यक्रम और स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में निवेश की आवश्यकता है, ताकि विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में सीकेडी की वृद्धि रोकी जा सके।''
जीएआईएमएस गुजरात सरकार और अदाणी एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के बीच पहला सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (पीपीपी) प्रयास है।
"महिलाओं में क्रोनिक किडनी रोग के बोझ में 1990-2021 तक वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय रुझान : एक व्यापक वैश्विक विश्लेषण" शीर्षक से प्रकाशित इस शोध के लिए 2021 में जारी एक अन्य शोध ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ से आंकड़े लिए गए हैं, जो समय के साथ दुनिया भर में स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को मापने का एक प्रयास है। इस शोध में 204 देशों और क्षेत्रों से जानकारी शामिल है।
महिलाओं में सीकेडी की व्यापकता में 1990 से 2021 के बीच औसत वार्षिक प्रतिशत परिवर्तन 2.10 प्रतिशत, मृत्यु दर 3.39 प्रतिशत और विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष 2.48 प्रतिशत बढ़ा है।
दुनिया भर में सीकेडी से संबंधित मृत्यु दर और घातक बीमारियों से ग्रसित होने में भी महत्वपूर्ण असमानताएं देखी गई हैं, विशेष रूप से लैटिन अमेरिका, उत्तरी अमेरिका के बुजुर्गों में इसमें उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
अध्ययन से पता चला है कि 2000 और 2010 के बीच मामूली कमी के बाद पिछले दशक में मेटाबोलिक जोखिम कारक के कारण मृत्यु दर में चिंताजनक वृद्धि हुई है।
देसाई ने कहा, "शीघ्र निदान के साथ स्वस्थ जीवनशैली, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को रोकने के बारे में जन जागरूकता अभियान महत्वपूर्ण हैं।''
उन्होंने कहा, "त्वरित कार्रवाई के बिना सीकेडी में निरंतर वृद्धि स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को प्रभावित कर सकती है और दुनिया भर में मृत्यु दर में इजाफा हो सकता है।''
--आईएएनएस
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