नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वह गवर्नर ट्रूडो से मिलेंगे और व्यापार तथा टैरिफ पर चर्चा करेंगे। यह दूसरी बार था जब उन्होंने ट्रूडो को गवर्नर कहा। इसके बाद देश और दुनिया में डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडाई प्रधानमंत्री पर जानबूझ कर ऐसी टिप्पणी को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। इस पर कई अफ्रीकी देशों में भारत के सलाहकार दीपक वोहरा ने कहा कि ट्रूडो ने कनाडा की इज्जत खराब की है, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।दीपक वोहरा ने कहा, "डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वह गवर्नर ट्रूडो से मिलेंगे और व्यापार तथा शुल्क पर चर्चा करेंगे। यह दूसरी बार है जब उन्होंने ट्रूडो को गवर्नर कहा है। पहले जब ट्रंप ने कहा था कि वह कनाडाई आयातों पर 25 प्रतिशत ड्यूटी लगा सकते हैं, तो ट्रूडो घबरा गए थे। ट्रंप ने कहा था कि अगर कनाडा अमेरिका का 51वां प्रांत बन जाए, तो फिर टैरिफ की कोई समस्या नहीं होगी। इस पर ट्रूडो की स्थिति और भी कमजोर हो गई थी। इससे पहले दो बार ट्रूडो को डोनाल्ड ट्रंप का सार्वजनिक रूप से मजाक उड़ाते देखा गया था। ट्रंप ने ट्रूडो को "बेवकूफ आदमी" कहा और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अपरिपक्व बताया। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वह बातचीत करने के लिए तैयार हैं।"
पूर्व भारतीय राजनयिक ने कहा, "अगर ट्रूडो को कनाडा की बची हुई इज्जत चाहिए, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। लेकिन वह अपनी पेंशन के लिए अपना कार्यकाल पूरा करने की कोशिश करेंगे। ट्रूडो, जो अक्सर ट्रंप की आलोचना करते हैं, अब अमेरिका पर टैरिफ लगाने की बात कर सकते हैं, लेकिन यह केवल उन्हें और कनाडा को खुश रखने की एक रणनीति हो सकती है।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी राष्ट्रपति को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाने पर उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग वहां नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा, "चीन के नेता को ऐसी जगहों पर हमेशा शाही दर्जा चाहिए होता है, लेकिन इस समारोह में ट्रंप खुद शहंशाह होंगे। जिनपिंग को यह बर्दाश्त नहीं होगा, क्योंकि चीन के नेता का मानना है कि उनका देश ही दुनिया का असली नेता है, जबकि ऐसा नहीं है। केवल भारत को ही दुनिया नेता मानती है, क्योंकि भारत की कूटनीति उच्च स्तर की है। चीन की दो बड़ी समस्याएं हैं, गुस्सा और घमंड। ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका और चीन के रिश्ते और बिगड़ सकते हैं, क्योंकि ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका हमेशा नंबर एक रहे। अगर चीन अपना रवैया नहीं बदलता, तो वह कभी भी अमेरिका का मुकाबला नहीं कर सकेगा।"
--आईएएनएस
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