कोलकाता, 4 नवंबर (आईएएनएस)। ईडी अधिकारियों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के राशन वितरण मामले में नकदी में किए गए फंड का हेरफेर शेल कंपनियों के जरिए किए गए इसी तरह के हेरफेर से कहीं अधिक हो सकता है।केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने कुछ व्यवसायों में निवेश के साथ-साथ कुछ बैंकों में कुछ जमाओं के रूप में कई भुगतानों को ट्रैक किया है, जिनमें से अधिकांश नकद में किए गए थे।
सूत्रों ने कहा कि ईडी के अधिकारियों ने अब इस बात की जांच शुरू कर दी है कि क्या बैंकों द्वारा नकदी जमा के मामले में मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन किया गया था, खासकर एकमुश्त नकद जमा 49,999 रुपये से अधिक होने की स्थिति में जमाकर्ता के पैन को पंजीकृत करने के संबंध में।
सूत्रों ने बताया कि 50,000 रुपये से कम की जमा राशि के मामले में भी ईडी के अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी राशि कितनी बार जमा की गई।
केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी कुछ व्यवसायों में नकद भुगतान के मामले में धन के स्रोत का पता लगाने की भी कोशिश कर रहे हैं।
तीन फर्जी कंपनियों श्री हनुमान रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड, ग्रेसियस इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड और ग्रेसियस क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड के मामले में, जिनके नाम राशन वितरण मामले में ईडी की जांच के दौरान सामने आए थे, जांच अधिकारियों ने कई फर्जी आवक और जावक का पता लगाया है। इन कंपनियों के बैंक खातों में करोड़ों का लेनदेन हुआ।
ईडी के अधिकारियों ने देखा कि भारी मात्रा में बाहरी प्रेषण आवक प्रेषण के कुछ घंटों या मिनटों के भीतर हुआ, जो स्पष्ट रूप से इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि ये कंपनियां फंड डायवर्जन के एकमात्र उद्देश्य के लिए बनाई गई थीं।
ईडी के अधिकारियों का मानना था कि राशन वितरण मामले की आय को उनके माध्यम से मोड़ने के लिए ही इन कॉर्पोरेट संस्थाओं को स्थापित किया गया था और सीमित अवधि के लिए सक्रिय रखा गया था।
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के रिकॉर्ड के अनुसार, जबकि श्री हनुमान रियलकॉन की वर्तमान स्थिति भंग हो गई है, अन्य दो संस्थाओं की स्थिति "परिसमापन के तहत" के रूप में दिखाई गई है।
--आईएएनएस
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