💎 आज के बाजार में सबसे स्वस्थ कंपनियों को देखेंशुरू करें

18 दिसंबर को रामलीला मैदान में सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की व्यवहार्यता पर करें विचार : हाईकोर्ट

प्रकाशित 27/11/2023, 07:36 pm
18 दिसंबर को रामलीला मैदान में सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की व्यवहार्यता पर करें विचार : हाईकोर्ट

नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। इस विवाद में पड़े बिना कि किस संगठन को पहले किस प्राधिकारी से संपर्क करना चाहिए था, दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को 18 दिसंबर को रामलीला मैदान में अखिल भारतीय मुस्लिम महापंचायत आयोजित करने की व्यवहार्यता पर विचार करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद मिशन सेव कॉन्स्टिट्यूशन (एमएससी) की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे और कहा कि 18 दिसंबर को सार्वजनिक बैठक आयोजित करने के उसके आवेदन को एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाना चाहिए।

अदालत ने कहा," एमसीडी और पुलिस अधिकारियों को 18 दिंसबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में महापंचायत आयोजित करने की व्यवहार्यता पर विचार करने का निर्देश दिया जाता है।"

पिछले महीने, अदालत ने याचिकाकर्ता एमएससी को दी गई प्रारंभिक अनुमति को रद्द करने के दिल्ली पुलिस के फैसले को बरकरार रखा था, इसमें दिवाली तक श्राद्ध की समाप्ति की अवधि के महत्व पर जोर दिया गया था और इसे हिंदू समुदाय लोगों के लिए बेहद शुभ बताया गया था।

हालांकि, अदालत ने कहा था कि त्योहारी सीज़न ख़त्म होने के बाद, कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति के लिए संगठन की याचिका पर नए सिरे से विचार करने के लिए यह अधिकारियों के लिए हमेशा खुला है।

इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने न्यायमूर्ति प्रसाद को अवगत कराया था कि उसे 3 से 5 दिसंबर तक रामलीला मैदान में एक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए एक अन्य संगठन से भी आवेदन मिला है और इसके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किया गया है।

अब, जबकि शुरुआत में 4 दिसंबर को सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगी गई थी, एमसीडी ने अदालत को सूचित किया कि उक्त तिथि के लिए रामलीला मैदान उपलब्ध नहीं है और इसे दिल्ली पुलिस से एनओसी के अधीन आवंटित किया जा सकता है।

दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने कहा कि 3 से 15 दिसंबर तक रामलीला मैदान में 'विश्व जन कल्याण के लिए महायज्ञ' के आयोजन के लिए महा त्यागी सेवा संस्थान को पहले ही एनओसी दे दी गई है, इसलिए 4 दिसंबर के लिए जगह उपलब्ध नहीं है।

जवाब में, अदालत ने कहा कि वह इस विवाद में नहीं जा रही है कि क्या महा त्यागी सेवा संस्थान को पहले एमसीडी और फिर पुलिस अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था या क्या याचिकाकर्ता संगठन को पहले पुलिस अधिकारियों व एमसीडीसे संपर्क करना चाहिए था।

याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायाधीश के समक्ष कहा कि एमसीडी और पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई तारीखों में से, 18 दिसंबर सार्वजनिक बैठक आयोजित करने के लिए सबसे सुविधाजनक थी।

22 नवंबर को अदालत ने रामलीला मैदान में सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की एमएससी की याचिका पर केंद्र, दिल्ली पुलिस और एमसीडी से जवाब मांगा था।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि वह 4 दिसंबर को बैठक आयोजित करने के लिए एनओसी की मांग करने वाले अपने आवेदन पर मध्य जिले के पुलिस उपायुक्त द्वारा निर्णय लंबित होने से व्यथित है।

उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को दी गई प्रारंभिक अनुमति को रद्द करने के दिल्ली पुलिस के फैसले को बरकरार रखने के बाद, याचिकाकर्ता ने 4 दिसंबर के लिए कार्यक्रम को पुनर्निर्धारित किया और रामलीला मैदान बुक करने की अनुमति के लिए आवेदन किया।

वकील जतिन भट्ट और हर्षित गहलोत के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, "एमसीडी के बागवानी विभाग ने एनओसी के लिए याचिकाकर्ता को दिल्ली पुलिस के पास भेज दिया और याचिकाकर्ता ने दिवाली उत्सव के समापन के बाद 13 नवंबर को एक अनुरोध प्रस्तुत किया।"

दिल्ली पुलिस ने वकील अरुण पंवार के माध्यम से न्यायमूर्ति प्रसाद के समक्ष कहा था कि 4 दिसंबर को कार्यक्रम आयोजित करने के लिए एनओसी के संबंध में आवेदन पर विचार किया गया है, लेकिन अनुरोध स्वीकार नहीं किया जा सका।

उन्होंने कहा था कि मध्य जिले को 3 से 5 दिसंबर तक रामलीला मैदान में एक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए महात्यागी सेवा संस्थान से 8 नवंबर को एक आवेदन प्राप्त हुआ था।

वकील ने कहा था कि संस्थान को पहले ही 4 दिसंबर के लिए एनओसी दी जा चुकी है, इसलिए उसी तारीख के लिए किसी अन्य आवेदन पर विचार करना संभव नहीं है।

इससे पहले, न्यायमूर्ति प्रसाद ने याचिकाकर्ता को अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिसे शुरुआत में दिल्ली पुलिस अधिकारियों के साथ कई बैठकों और मंजूरी के बाद 29 अक्टूबर को होने वाली सभा के लिए मंजूरी मिल गई थी।

हालांकि, मध्य जिले के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) ने कार्यक्रम की "सांप्रदायिक" प्रकृति पर चिंताओं का हवाला देते हुए इस अनुमति को रद्द कर दिया था।

संगठन ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने एकतरफा और मनमाने ढंग से उनकी प्रारंभिक सहमति रद्द कर दी। पुलिस ने न्यायमूर्ति प्रसाद को सूचित किया था कि सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की अनुमति मांगते समय एमएससी ने कथित तौर पर अधिकारियों को गुमराह किया था।

पुलिस ने कहा था कि हालांकि प्रारंभिक अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में स्थानीय निवासियों की कई शिकायतों के कारण इसे रद्द कर दिया गया था, जिन्होंने चिंता व्यक्त की थी कि लगभग 10,000 लोगों की अपेक्षित उपस्थिति के साथ प्रस्तावित कार्यक्रम में सांप्रदायिक रंग हो सकता है।

कोर्ट ने कहा था कि संगठन के पोस्टरों से पता चलता है कि कार्यक्रम सांप्रदायिक हो सकता हैै।

--आईएएनएस

सीबीटी

नवीनतम टिप्पणियाँ

हमारा ऐप इंस्टॉल करें
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
फ्यूज़न मीडिया आपको याद दिलाना चाहता है कि इस वेबसाइट में मौजूद डेटा पूर्ण रूप से रियल टाइम एवं सटीक नहीं है। वेबसाइट पर मौजूद डेटा और मूल्य पूर्ण रूप से किसी बाज़ार या एक्सचेंज द्वारा नहीं दिए गए हैं, बल्कि बाज़ार निर्माताओं द्वारा भी दिए गए हो सकते हैं, एवं अतः कीमतों का सटीक ना होना एवं किसी भी बाज़ार में असल कीमत से भिन्न होने का अर्थ है कि कीमतें परिचायक हैं एवं ट्रेडिंग उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। फ्यूज़न मीडिया एवं इस वेबसाइट में दिए गए डेटा का कोई भी प्रदाता आपकी ट्रेडिंग के फलस्वरूप हुए नुकसान या हानि, अथवा इस वेबसाइट में दी गयी जानकारी पर आपके विश्वास के लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।
फ्यूज़न मीडिया एवं/या डेटा प्रदाता की स्पष्ट पूर्व लिखित अनुमति के बिना इस वेबसाइट में मौजूद डेटा का प्रयोग, संचय, पुनरुत्पादन, प्रदर्शन, संशोधन, प्रेषण या वितरण करना निषिद्ध है। सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकार प्रदाताओं एवं/या इस वेबसाइट में मौजूद डेटा प्रदान करने वाले एक्सचेंज द्वारा आरक्षित हैं।
फ्यूज़न मीडिया को विज्ञापनों या विज्ञापनदाताओं के साथ हुई आपकी बातचीत के आधार पर वेबसाइट पर आने वाले विज्ञापनों के लिए मुआवज़ा दिया जा सकता है।
इस समझौते का अंग्रेजी संस्करण मुख्य संस्करण है, जो अंग्रेजी संस्करण और हिंदी संस्करण के बीच विसंगति होने पर प्रभावी होता है।
© 2007-2024 - फ्यूजन मीडिया लिमिटेड सर्वाधिकार सुरक्षित