नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना के लिए एक और विमान वाहक पोत के निर्माण के प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इस पर लगभग 40,000 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है। जानकारी के मुताबिक नौसेना के लिए इस विमान वाहक पोत के प्रस्ताव पर सरकार सकारात्मक विचार के साथ तैयार है। रक्षा विशेषज्ञ का मानना है कि इससे हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की घुसपैठ पर अंकुश लग सकेगा और भारतीय नौसेना की शक्ति में वृद्धि होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय का रक्षा खरीद बोर्ड इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे चुका है। इसका नाम 'आईएसी द्वितीय' रखा जा सकता है।
जानकारी के मुताबिक यह प्रस्ताव रक्षा अधिग्रहण परिषद यानी डीएसी के समक्ष रखा जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को डीएसी की बैठक होने की संभावना है।
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना को अत्याधुनिक एंटी-मिसाइल व एंटी एयरक्राफ्ट पॉइंट डिफेंस हथियार प्रणाली भी मिलने जा रही है। इस परियोजना पर लगभग 3,000 करोड रुपए की लागत आएगी। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए एक विशेष अनुबंध किया है।
रक्षा मंत्रालय ने खरीद के तहत भारतीय नौसेना के लिए 16 अपग्रेडेड सुपर रैपिड गन माउंट (एसआरजीएम) के साथ साथ संबंधित उपकरण व सामान की खरीद के लिए 28 नवंबर को यह अनुबंध किया है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि मैसर्स भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल), हरिद्वार के साथ यह अनुबंध किया गया जिस पर मंगलवार को हस्ताक्षर किए हैं। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इसकी कुल लागत 2956.89 करोड़ रुपये होगी।
उन्नत एसआरजीएम, जिसका निर्माण मैसर्स बीएचईएल द्वारा अपने हरिद्वार प्लांट में किया जाएगा, एक मध्यम कैलिबर एंटी-मिसाइल, एंटी एयरक्राफ्ट पॉइंट डिफेंस हथियार प्रणाली है। इसकी मारक क्षमता अधिक है और यह उच्च सटीकता सुनिश्चित करती है। हथियार प्रणाली तरह-तरह के खतरों के मद्देनजर कार्रवाई करने में सक्षम है। यह प्रणाली मिसाइलों और अत्यधिक गतिशील तेज हमले वाले उपकरणों के खिलाफ उत्कृष्ट कार्रवाई करने में निपुणता रखती है।
--आईएएनएस
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