नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज द्वारा कोविड घोटाला मामले में दहिसर और वर्ली में जंबो कोविड फैसिलिटी (सुविधाओं) में अनियमितताओं को लेकर लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के भागीदारों की 12.24 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति कुर्क की है।आरोपियों की पहचान सुजीत पाटकर, डॉ. हेमंत गुप्ता, राजीव सालुंखे, संजय शाह और उनके साथी सुनील कदम उर्फ बाला कदम के रूप में हुई है। ईडी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि कुर्क की गई संपत्ति मुंबई में तीन फ्लैट, म्यूचुअल फंड इकाइयों और बैंक खातों में शेष राशि के रूप में है।
ईडी की जांच लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विस, उसके साझेदारों और अन्य के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आजाद मैदान पुलिस स्टेशन (मुंबई) द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर है।
ईडी की जांच में पाया गया कि जून 2020 के दौरान एमसीजीएम ने 22 जून 2020 और 25 जून 2020 को एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) के माध्यम से मुंबई में आईसीयू बेड, ऑक्सीजन युक्त बेड और गैर-ऑक्सीजन युक्त बेड के लिए विभिन्न जंबो कोविड सुविधाओं पर जनशक्ति आपूर्ति के लिए टेंडर या कॉन्ट्रैक्ट जारी किया था।
ईडी ने कहा, ''लाइफलाइन अस्पताल प्रबंधन सेवाओं ने अधूरे और झूठे दस्तावेजों के आधार पर जुलाई 2020 से फरवरी 2022 की अवधि के लिए दहिसर और वर्ली में जंबो कोविड सुविधाओं के लिए स्टाफ सदस्यों यानी डॉक्टरों, नर्सों, बहुउद्देश्यीय श्रमिकों (वार्डबॉय, अयास और डॉक्टर सहायक) और तकनीशियनों की आपूर्ति के लिए टेंडर हासिल किया।''
ईडी ने कहा कि यह भी पता चला कि सेवा अवधि के दौरान, "लाइफलाइन अस्पताल प्रबंधन सेवाओं के भागीदारों द्वारा ईओआई शर्तों को बनाए नहीं रखा गया था और स्टाफ सदस्यों की तैनाती में भारी कमी थी।"
इडी ने कहा कि हालांकि, दहिसर जंबो कोविड सुविधा में नकली और मनगढ़ंत उपस्थिति शीट और स्टाफ रिकॉर्ड के माध्यम से ईओआई शर्तों के अनुसार पर्याप्त स्टाफ उपस्थिति दिखाकर चालान पेश किए गए थे और वर्ली कोविड सुविधा के लिए कोई उपस्थिति या स्टाफ डेटा पेश नहीं किया गया था।
इसके बावजूद, लाइफलाइन के साझेदार बीएमसी कर्मचारियों के साथ मिलकर सितंबर 2020 से जून 2022 के दौरान एमसीजीएम अधिकारियों से 32.44 करोड़ रुपये प्राप्त करने में कामयाब रहे।
वित्तीय जांच एजेंसी ने कहा कि उसकी जांच से यह भी पता चला है कि बीएमसी से राशि प्राप्त करने के बाद पाटकर और लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के अन्य भागीदारों ने संपत्ति खरीदने, आवास ऋण चुकाने, रियल एस्टेट में निवेश आदि के लिए धन का इस्तेमाल किया।
ईडी ने कहा, ''फ्लैट, म्यूचुअल फंड इकाइयों और दो बैंक खातों में कुल 12.23 करोड़ रुपये की बैंक शेष के रूप में सभी पहचानी गई संपत्तियों को पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत अस्थायी रूप से संलग्न किया गया है।''
इससे पहले इस मामले में, लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के साझेदारों में से एक पाटकर और दहिसर जंबो कोविड सेंटर के बीएमसी के पूर्व डीन किशोर बिसुरे को इस साल 19 जुलाई को पीएमएलए 2002 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया था।
ईडी ने इस साल 19 सितंबर को लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के भागीदारों और संबंधित व्यक्तियों या संस्थाओं के खिलाफ अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर कर दिया है।
--आईएएनएस
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