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संदेशखाली में ईडी की छापेमारी ने महिलाओं और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को ऐसे कर दिया उजागर

प्रकाशित 14/02/2024, 10:15 pm
संदेशखाली में ईडी की छापेमारी ने महिलाओं और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को ऐसे कर दिया उजागर

नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल का संदेशखाली इन दिनों राजनीतिक दलों के लिए अखाड़ा बन गया है। टीएमसी और भाजपा के बीच यहां को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भले जारी हो लेकिन, इस सब के बीच यहां के लोगों की खासकर महिलाओं की कहानी लोगों को अंदर तक झकझोर देने के लिए काफी है। दरअसल, 5 जनवरी 2024 को ईडी के अधिकारी संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां से पूछताछ करने पहुंचे थे। ईडी अधिकारियों और सीआरपीएफ जवानों पर इसी दौरान भीड़ ने हमला कर दिया। छापेमारी के दौरान इस घटना के बाद संदेशखाली की महिलाएं टीएमसी के स्थानीय नेता शेख शाहजहां द्वारा व्यवस्थित यौन उत्पीड़न, महिलाओं को बंधक बनाने के साथ यहां जारी अपराधिक घटनाओं के विरोध में सड़कों पर उतर आई।

उत्तर 24 परगना जिले के अशांत संदेशखाली के व्यवस्थित अपराध के बारे में शायद ही देश को कुछ पता चल पाता अगर 5 जनवरी को छापेमारी के लिए वहां ईडी की टीम नहीं पहुंचती। यहां की महिलाओं ने वहां के टीएमसी नेता शेख शाहजहां और उनके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने का आरोप लगाया और इसके विरोध में प्रदर्शन करने और धरने देने लगीं।

महिलाएं इतनी आक्रोशित हुईं कि उन्होंने शेख शाहजहां के करीबी विश्वासपात्र और तृणमूल कांग्रेस नेता शिबू हाजरा के खेत और पॉल्ट्री फॉर्म में आग भी लगा दी। महिलाओं ने आरोप लगाया कि यह पॉल्ट्री फॉर्म गांव के लोगों की जमीन छीनकर उसपर अवैध तरीके से बनाया गया था और यह कई तरह के अवैध कार्यों का सेंटर था।

जान लें कि ईडी की छापेमारी ने कैसे इस मामले से पर्दा हटाया। दरअसल, हजारों करोड़ रुपए के राशन घोटाले में ईडी के अधिकारी 5 जनवरी को पश्चिम बंगाल में 15 ठिकानों पर छापा मार रहे थे। ऐसे में ईडी की एक टीम नॉर्थ 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव में शेख शाहजहां और शंकर अध्य के घर भी रेड डालने गई थी। इस दौरान ईडी की टीम पर टीएमसी समर्थकों ने जानलेवा हमला किया था। इसमें तीन अधिकारी घायल हो गए थे। इसके बाद से ही शाहजहां फरार चल रहा है और उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हुआ है।

इसके बाद संदेशखाली की महिलाओं ने शेख शाहजहां के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और आरोप लगाते हुए बताया कि कैसे गुंडे उनके बीच से अपनी पसंद की किसी भी महिला को उठा लेते हैं और उसके साथ कुछ भी करते हैं। टीएमसी नेता के द्वारा सुंदर दिखने वाली महिला को उठा लिया जाता और उसे पार्टी कार्यालय में लाया जाता था और नेता उसके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म करते थे। शेख शाहजहां के फरार होने के बाद 8 फरवरी को संदेशखाली की महिलाएं सड़कों पर उतर आईं और शेख शाहजहां के साथ ही उनके सहयोगी सिबाप्रसाद उर्फ सिबू हाजरा, और उत्तम सरदार की गिरफ्तारी की मांग करने लगीं।

महिलाओं ने तब आरोप लगाया कि स्थानीय टीएमसी के गुंडों के द्वारा उनके साथ अत्याचार एवं यौन शोषण किया जाता रहा। ये गुंडे महिलाओं को पार्टी कार्यालय लाते और यहां उनके साथ दुष्कर्म करते। जिसमें से कई महिलाओं के वीडियो भी सामने आए, जिससे पता चला कि हिंदू महिलाएं मुख्य रूप से उनके निशाने पर थीं। बवाल बढ़ा और यह प्रदर्शन जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से महिलाओं ने किया था हिंसक हो गया तो प्रशासन की तरफ से यहां की इंटरनेट सेवाएं 10 फरवरी को बंद कर दी गई। पुलिस ने यहां धारा 144 लगा दी, स्थानीय केबल ऑपरेटरों को निर्देश दिया गया है वहां सेवाएं रोक दें। वहीं, यहां विरोध कर रहे ग्रामीणों पर टीएमसी के समर्थकों ने हमला किया।

12 फरवरी को संदेशखाली गांव के स्थानीय निवासियों से मिलने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद पहुंचे तो उनसे लोगों ने न्याय और तृणमूल कांग्रेस के गुंडों के खिलाफ सख्त सजा की मांग की। प्रदर्शन को देखते हुए इंडरनेट पर बैन की सीमा को प्रशासन ने और बढ़ा दिया। पश्चिम बंगाल पुलिस ने 12 फरवरी को बताया कि महिलाओं के खिलाफ हुए अत्याचार की जांच के लिए 10 सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। जबकि प्रदर्शन कर रही महिलाएं पुलिस पर टीएमसी के गुंडों के मदद करने का आरोप लगाती रहीं।

इसके बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य महिला आयोग ने इस संबंध में एक रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ममता बनर्जी पर टीएमसी के गुंडों को संरक्षण देने का आरोप लगाया और लिखा कि टीएमसी के गुंडे घर-घर जाकर देखते थे कि किस घर की कौन सी औरत सुंदर है। कौन कम उम्र की है?

ईरानी ने आगे लिखा कि वहां की महिलाओं ने बताया कि टीएमसी के गुंडे ज्यादातर हिंदू परिवार की महिलाओं को टारगेट करते थे। उन्होंने आगे बांग्ला में ही लिखा था कि ममता हिंदुओं के नरसंहार के लिए जानी जाती हैं। वह अपनी पार्टी के समर्थक पुरुषों को महिलाओं से अभद्रता करने की अनुमति दे रही हैं। देश के लोग इसे चुपचाप कैसे देख सकते हैं। ममता राजनीतिक फायदों के लिए जातियों की गरिमा का सौदा कर रही हैं।

मामला इतना बढ़ा कि कलकत्ता हाईकोर्ट को इस मामले में स्वतः संज्ञान लेना पड़ा और जस्टिस अपूर्बा सिन्हा रॉय की एकल बेंच ने इस मामले पर ममता सरकार को स्पष्ट आदेश दिया कि संदेशखाली के बासिरहाट में लगी धारा 144 को हटाया जाए। कोर्ट ने कहा कि संदेशखाली में जो भी हो रहा वह विचलित करने वाला है। मीडिया की रिपोर्ट पर भी कोर्ट ने अपनी बात रखी, जिसमें कहा कि वहां महिला के साथ गन पॉइंट पर यौन उत्पीड़न हुआ। यह बेहद दुखद है। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार को इस मामले में नोटिस जारी करते हुए इसे 20 फरवरी को सुनवाई के लिए लिस्ट किया।

इसके पहले भी यहां की स्थानीय महिलाओं ने अपने साथ बलात्कार और यातना के सभी मामलों का विवरण देते हुए एक सामूहिक याचिका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डाक से भेजा था। लेकिन, रिपोर्ट्स की मानें तो इसके बाद भी यहां किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई, ना ही हालात सुधरे। इसके साथ ही यह भी जानकारी दी गई थी कि टीएमसी के गुंडों ने 15-16 साल के युवा लड़कों को शराब का लालच दिया। उनके हाथों में बंदूकें थमा दी और हिंसा में शामिल होने के लिए तैयार किया। 2018 के बाद से यहां की स्थिति और खराब हो गई। टीएमसी के गुंडे पैसा, जमीन और स्थानीय महिलाओं की इज्जत लूटते रहे।

--आईएएनएस

जीकेटी/एबीएम

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