नोएडा, 29 जून (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सुपरटेक के चेयरमैन की गिरफ्तारी के बाद जिले में फ्लैट खरीदारों का मामला और ज्यादा उलझ गया है। एक तरफ खरीदारों की रजिस्ट्री के लिए जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश शासन लगातार कोशिश कर रहा है। दूसरी तरफ बिल्डरों का बकाया चुकाए बिना रजिस्ट्री संभव नहीं है।उत्तर प्रदेश रेरा की बात करें तो अकेले सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ हजारों शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। सुपरटेक लिमिटेड कंपनी के नाम से कुल 27 प्रोजेक्ट की 2,653 कंप्लेंट रेरा में रजिस्टर्ड कराई गई हैं। दूसरी ओर सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट लिमिटेड की ओर से चार प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनमें 473 कंप्लेंट दर्ज कराई गई हैं।
रेरा द्वारा कई मामलों में सुपरटेक के खिलाफ आरसी भी जारी की गई है। बीते 8 मई की बात करें तो सुपरटेक के सीएमडी आरके अरोड़ा को काफी देर के लिए जिला प्रशासन ने डिटेन भी किया था। जिसके बाद आरके अरोड़ा ने बकाया राशि जमा कराने का वादा किया था। फिर उन्हें छोड़ा गया था। यूपी रेरा के आरसी जारी करने के बाद जिला प्रशासन ने बड़ा कदम उठाते हुए सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा को डिटेन कर लिया था।
यूपी रेरा की तरफ से घर खरीदारों के पैसे रिकवरी को लेकर आरसी जारी की गई थी, जिसको लेकर जिला प्रशासन की तरफ से यह कदम उठाया गया। बताया जा रहा है कि 33 करोड़ रूपये की आरसी जारी की गई है। जिसका भुगतान सुपरटेक ग्रुप ने नहीं किया था। जिसके बाद जिला प्रशासन की दादरी तहसील ने यह एक्शन लिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा के खिलाफ यूपी रेरा में बहुत सारे केस चल रहे हैं। जिनमें अब आरसी जारी होना शुरू हो गया है। आरसी की रिकवरी जिला प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। जिसके लिए जिला प्रशासन को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अब वह जल्द से जल्द जारी आरसी की रकम को बिल्डरों से लेना शुरू करे। जिस भी बिल्डर ने इस रकम को नहीं चुकाया, उसको गिरफ्तार करने की पावर जिला प्रशासन के पास होती है।
इसी कड़ी में जिला प्रशासन की दादरी तहसील ने यह बड़ी कार्रवाई की है। सुपरटेक के एमडी आरके अरोड़ा को डिटेन किया गया था। जिला प्रशासन की कार्रवाई के बाद आरके अरोड़ा ने भी रूपये जमा करवाए। उन्होंने जिला प्रशासन के साथ 5 करोड़ का सेटलमेंट किया। उसके बाद उन्हें छोड़ा गया।
--आईएएनएस
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