जयपुर, 22 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को सभी चुनावी राज्यों का दौरा करने, लेकिन संघर्षग्रस्त मणिपुर से दूर रहने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की।
उन्होंने कहा, "अगर वह मणिपुर का दौरा नहीं कर सकते, तो प्रधानमंत्री को कम से कम एक बैठक बुलानी चाहिए थी और स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए थी। मैं पहली बार देख रहा हूं कि कोई प्रधानमंत्री चुनावी राज्यों का दौरा कर रहा है, लेकिन उस राज्य का नहीं, जो जल रहा है।"
प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि सोचिए, अगर राज्य में बीजेपी की जगह कांग्रेस सत्ता में होती तो वह क्या-क्या कहते।
गहलोत मणिपुर में हुई हिंसा के संबंध में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हिंसा ग्रस्त राज्य में जिस तरह से महिलाओं को अपमानित किया गया, उसने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। 77 दिन बीत जाने के बाद भी प्रधानमंत्री ने एक शब्द भी नहीं बोला। गहलोत ने कहा, ''उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही बात की।''
गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों से कानून व्यवस्था का ध्यान रखने को कहा था, अब बताएं कि मणिपुर कहां है और राजस्थान कहां है।
पीएम मोदी ने राजस्थान के गौरव को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने कहा, "मणिपुर कहां है, वहां क्या नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि 140 करोड़ लोग शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि 140 करोड़ लोग शर्मिंदा नहीं, वे आपकी सरकार के कारनामों और आपकी लापरवाही से दुखी हैं।"
गहलोत ने कहा, "क्या ऐसी दिल दहला देने वाली घटना पर कुछ सेकंड बोलना उचित था? पीएम ने कुछ सेकंड में औपचारिकता निभाकर मामले को खत्म कर दिया। आप कम से कम बैठकें करते। वहां स्थिति कैसे नियंत्रित होगी? जब राज्य जल रहा था, तो आप कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के दौरे में व्यस्त थे।"
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा, "अगर हमारी सरकार सत्ता में आती है, तो हम सामाजिक सुरक्षा के विषय को आगे बढ़ाएंगे।"
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने कहा था कि हर व्यक्ति को न्याय योजना से एक निश्चित राशि मिलनी चाहिए। हालांकि केंद्र में हमारी सरकार नहीं बनी है, लेकिन सरकार बनने पर हम उस थीम को आगे बढ़ाएंगे। हम सामाजिक सुरक्षा को लेकर लगातार काम करना चाहते हैं।"
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि कांग्रेस पर कर्ज में बढ़ोतरी का आरोप है, लेकिन कर्ज केंद्र की मंजूरी से दिया जाता है। यदि राज्य ऋण लेने की स्थिति में नहीं है, तो अनुमति देने से इनकार कर दिया जाता है। एक राज्य के तौर पर पैरामीटर पूरे होते हैं, इसीलिए लोन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कर्ज हर राज्य सरकार पर है।
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