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निष्पक्ष रहकर स्पीकर चलाए सदन, सदनों में हंगामा करने वालों से जनता पूछे सवाल - ओम बिरला

प्रकाशित 21/08/2023, 11:25 pm
निष्पक्ष रहकर स्पीकर चलाए सदन, सदनों में हंगामा करने वालों से जनता पूछे सवाल - ओम बिरला

उदयपुर, 21 अगस्त (आईएएनएस)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी स्पीकरों से निष्पक्षता के साथ सदन की कार्यवाही चलाने का आह्वान करते हुए कहा है कि आसन पर बैठकर पीठासीन अधिकारियों को निष्पक्षता के साथ निर्विवाद भूमिका निभानी चाहिए ताकि आसन का सम्मान बना रहे।राजस्थान के उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के 9वें सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद सम्मेलन में उपस्थित पीठासीन अधिकारियों और विधायकों को संबोधित करते हुए, बिरला ने कहा कि विधानमंडल, चाहे वह संसद हो या राज्य विधान सभाएं और विधान परिषदें, 140 करोड़ भारतीयों की आशाओं, सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए, जन प्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी है कि वे विधायिका में लोगों के विश्वास को बनाए रखें।

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अनुकरणीय आचरण और शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए ताकि सदन की प्रतिष्ठा और गरिमा बढ़े तथा विधायी संस्थाओं और जन प्रतिनिधियों पर लोगों का विश्वास और अधिक गहरा और मजबूत हो। विधानमंडल राजनीतिक पक्षपात से ऊपर उठकर सभी मुद्दों पर बहस और चर्चा के लिए हैं।

बिरला ने राज्य विधानमंडलों से आगे बढ़कर कार्य में एकरूपता लाने के लिए 'एक राष्ट्र, एक विधायी मंच' को लागू करने का भी आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की दुनिया के प्रति बड़ी जिम्मेदारी है। देश की 75 वर्षों की लोकतांत्रिक यात्रा के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए बिरला ने कहा कि हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं में मजबूत लोकतांत्रिक परंपराएं स्थापित की गई हैं और इन स्वस्थ परंपराओं का संरक्षण करना और बदलते समय की आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें विकसित और समृद्ध करना सभी जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है।

बिरला ने सदनों में हंगामे और व्यवधान पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि विधानमंडलों में व्यवधान से संसदीय लोकतंत्र के कामकाज में बाधा आती है, जिससे राष्ट्रीय विकास की गति धीमी हो जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि सुनियोजित व्यवधान और गतिरोध की बढ़ती प्रवृत्ति से सदन की गरिमा कम होती है और ऐसी प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते समय सदन में अपने प्रतिनिधियों के व्यवहार और आचरण को ध्यान में रखते हुए आकलन करें। मतदाताओं को ऐसे प्रतिनिधियों का निर्वाचन करना चाहिए जो उनके कल्याण में सकारात्मक योगदान दें।

लोकसभा अध्यक्ष ने विधान मंडलों और संसदों की कार्यवाही से जुड़े हर तथ्य और जानकारी के देश के आम लोगों के लिए भी डिजिटली सुलभ होने की मंशा जाहिर करते हुए यह भी कहा कि आरटीआई कार्यकर्ताओं को अगर विधान मंडलों से ज्यादा जानकारी हो तो यह चिंता की बात है, सब कुछ डिजिटली और सबके लिए उपलब्ध होना चाहिए और लोगों को भी वहीं से जानकारी लेनी चाहिए।

उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वर्तमान समय में सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सूचना प्रौद्योगिकी बहुत सहायक है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि आईटी की परिकल्पना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा की गई थी जिन्होंने शासन में प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से अपनाए जाने के लिए मिशन मोड पर काम किया था।

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सम्मेलन में डिजिटल सशक्तिकरण और सुशासन की दिशा में जन प्रतिनिधियों के कौशल जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी। गहलोत ने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया।

उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में योजनाओं के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी से बदलाव आ रहे हैं।

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सीपीए सम्मेलन की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि पूरे देश के विधानमंडलों के समक्ष आने वाली गंभीर चुनौतियों पर पीठासीन अधिकारियों की चर्चा के लिए यह एक महत्वपूर्ण मंच है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस मंच पर नवीन विचारों और अनुभवों को साझा करने से सुशासन बढ़ेगा। शासन में प्रौद्योगिकी के उपयोग से न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिली है, बल्कि यह भी सुनिश्चित हुआ है कि जनकल्याणकारी लाभ सीधे उन लोगों तक पहुंचें जो उनके हकदार हैं।

उन्होंने कहा कि जब सरकार नागरिकों को प्रभावी सेवाएं प्रदान करती है, तो शासन में उनका विश्वास बढ़ता है, जिससे लोकतंत्र मजबूत होता है।

स्वागत भाषण देते हुए राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने इस बात का उल्लेख किया कि राजस्थान ने संसदीय लोकतंत्र की स्वस्थ परंपराओं की स्थापना में अग्रणी योगदान दिया है।

डॉ. जोशी ने देश भर में संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में अनवरत प्रयास करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को धन्यवाद देते हुए सीपीए के लक्ष्यों और उद्देश्यों का उल्लेख भी किया।

उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका को लोगों की प्रगति और विकास सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। संसदीय लोकतंत्र भारत की ताकत है और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता के कारण हमारा देश आगे बढ़ता रहेगा।

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सीपीए मुख्यालय के चेयरपर्सन इयान लिडेल ग्रैन्जर ने राष्ट्रमंडल में भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सीपीए के लिए भारत बहुत महत्वपूर्ण है।

ग्रैन्जर ने भारतवासियों के लाभ के लिए डिजिटल संसाधनों का उपयोग करते हुए भारत द्वारा इस दिशा में किए जा रहे विश्व नेतृत्व की भी सराहना की।

सीपीए चेयरपर्सन ने कहा कि भारत ने जन कल्याण के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग में सभी देशों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है। लोकतंत्र को मजबूत करने में युवाओं की भूमिका के बारे में बोलते हुए ग्रैन्जर ने कहा कि सीपीए पूरी दुनिया के युवाओं को जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, आतंकवाद आदि जैसी जटिल चुनौतियों के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करने की इच्छुक है।

उन्होंने यह भी कहा कि सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाले राष्ट्रमंडल के सबसे बड़े देश भारत की भूमिका इस दिशा में बहुत महत्वपूर्ण होगी।

बता दें कि, इस दो दिवसीय सम्मेलन का विषय "डिजिटल युग में लोकतंत्र और सुशासन को सुदृढ़ करना" है।

सम्मेलन के दौरान डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम से सुशासन को प्रोत्साहित करने में जन प्रतिनिधियों को और अधिक प्रभावी एवं कुशल कैसे बनाया जाए के साथ-साथ लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से राष्ट्र को सुदृढ़ करने में जन प्रतिनिधियों की भूमिका पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

सम्मेलन का समापन मंगलवार को भारत के उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के समापन भाषण के साथ होगा।

--आईएएनएस

एसटीपी/एबीएम

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