नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड में आरोपी कडप्पा से वाईएसआरसीपी सांसद वाई.एस. अविनाश रेड्डी को अग्रिम जमानत देने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टाल दी।न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने निर्देश दिया कि पूर्व मंत्री की बेटी सुनीता नारेड्डी द्वारा जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका को तीन सप्ताह के बाद गैर-विविध दिन के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
विशेष रूप से, सोमवार और शुक्रवार के अलावा अन्य दिनों को सुप्रीम कोर्ट में गैर-विविध दिनों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
शीर्ष अदालत ने 18 जुलाई को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था और आदेश दिया था कि जांच एजेंसी मूल मामले की फाइलों की प्रतियां एक सीलबंद कवर में उसके समक्ष पेश करेगी।
14 जुलाई को हैदराबाद की सीबीआई अदालत ने सीबीआई द्वारा दायर पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए मामले में अविनाश रेड्डी को तलब किया था।
सीबीआई ने सनसनीखेज मामले में तीसरी चार्जशीट दायर की थी, जिसमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के चचेरे भाई अविनाश रेड्डी का नाम अभियुक्त के रूप में शामिल था।
सुनीता नारेड्डी ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में तर्क दिया था कि उच्च न्यायालय ने आरोपी द्वारा प्रस्तुत पूरे मामले को वस्तुतः स्वीकार कर लिया और सीबीआई द्वारा एकत्र किए गए सबूतों की उपेक्षा की।
याचिका में कहा गया है कि सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी के कडप्पा सांसद ने उपस्थिति के लिए तीन नोटिसों से बचकर सीबीआई के साथ सहयोग नहीं किया है।
इसमें कहा गया कि उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत आरोपी को अग्रिम जमानत की अनुमति दी।
31 मई को तेलंगाना हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में अविनाश रेड्डी को कुछ शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे दी थी।
पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के भाई और माैजूदा मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के चाचा विवेकानंद रेड्डी की चुनाव से कुछ हफ्ते पहले 15 मार्च, 2019 को पुलिवेंदुला में उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी। कहा जा रहा है कि 8 वर्षीय विवेकानंद जब अपने घर में अकेला थे, उसी दौरान अज्ञात व्यक्तियों ने घर में घुसकर उसकी हत्या कर दी।
विवेकानंद रेड्डी की बेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने 2020 में मामले की जांच अपने हाथ में ली, जिसमें कुछ रिश्तेदारों पर संदेह जताया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए मामले को हैदराबाद स्थानांतरित कर दिया कि आंध्र प्रदेश में निष्पक्ष सुनवाई और जांच के बारे में उनके द्वारा उठाए गए संदेह उचित थे।
इस साल 26 मई को शीर्ष अदालत ने सह-अभियुक्त येर्रा गंगी रेड्डी को सशर्त जमानत पर रिहा करने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के एक और आदेश पर रोक लगा दी।
--आईएएनएस
एसजीके