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मणिपुर : चूड़ाचांदपुर जिले में 4 कुकी-ज़ो लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ जनजातीय निकाय ने किया बंद का आह्वान, जनजीवन अस्त-व्यस्त

प्रकाशित 03/10/2023, 01:30 am
मणिपुर : चूड़ाचांदपुर जिले में 4 कुकी-ज़ो लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ जनजातीय निकाय ने किया बंद का आह्वान, जनजीवन अस्त-व्यस्त

इंफाल, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। मणिपुर के चूड़ाचांदपुर जिले में इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने महिलाओं सहित चार कुकी-ज़ो लोगों की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार से आदिवासी बहुल जिले में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है, जिससे सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार को कहा था कि दो युवा छात्राओं की हत्या के चार संदिग्धों को सीबीआई और अन्य सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया है।

उन्‍होंने कहा था, “केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर एजेंसी के विशेष निदेशक अजय भटनागर के नेतृत्व में एक विशेष सीबीआई टीम, पांच अधिकारियों के साथ 27 सितंबर से मणिपुर में डेरा डाले हुए हैं।

सिंह ने मीडिया को बताया था, "सीबीआई, सेना, असम राइफल्स और राज्य सुरक्षा बलों की एक संयुक्त टीम ने दो युवा छात्राओं की हत्या के मामले में चुराचांदपुर जिले से चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। इस जघन्य मामले में यह बड़ी सफलता है।"

गिरफ्तारी के तुरंत बाद मणिपुर में आदिवासियों के शीर्ष संगठन आईटीएलएफ ने रविवार रात चुराचांदपुर जिले में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया।

आईटीएलएफ ने 48 घंटों के भीतर चार लोगों को रिहा करने की मांग की है और कहा है, "ऐसा नहीं होने पर मणिपुर के सभी पहाड़ी जिलों में और अधिक तीव्र आंदोलन किया जाएगा।"

आईटीएलएफ के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा, मैतेई बहुल क्षेत्रों वाले सभी सीमा क्षेत्रों को सील किया जा रहा है। किसी को भी बफर जोन में प्रवेश करने या छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सभी सरकारी कार्यालय आज (सोमवार) से बंद हैं।

पुलिस ने कहा कि सार्वजनिक वाहन सड़क से नदारद रहने के कारण सभी वाणिज्यिक और व्यावसायिक गतिविधियां रुकी हुई हैं। चुराचांदपुर जिले में बंद के मद्देनजर सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालय और वित्तीय संस्थान बंद रहे।

आईटीएलएफ ने सीबीआई की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए सोमवार को कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने स्थानीय अधिकारियों की जानकारी के बिना चार लोगों को गिरफ्तार किया था और वहां कोई महिला पुलिस अधिकारी और कोई किशोर पुलिस इकाई नहीं थी, जैसा कि कानून के अनुसार जरूरी था। यह मामला दो मैतेई छात्राओं के लापता होने से संबंधित है।

संगठन ने कहा, “गिरफ्तारी उन तस्वीरों के सामने आने के एक हफ्ते से भी कम समय के बाद हुई, जिनमें दो छात्राओं के शव दिखाई दे रहे हैं। यदि सीबीआई इतनी तत्परता से कार्रवाई कर सकती है, तो उसने इंफाल में दो आदिवासी लड़कियों के साथ बलात्कार और हत्या, 7 वर्षीय आदिवासी लड़के को उसकी मां और चाची के साथ जिंदा जला देने जैसे जघन्य मामलों में किसी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया। एक आदिवासी युवक पर अत्याचार और उसका सिर कलम करना, और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार के कई अन्य कार्य? और उन हजारों हथियारों और लाखों गोला-बारूद का क्या जो इंफाल घाटी में लूटे गए ?”

आदिवासी निकाय ने कहा : “क्या केंद्र सरकार सोचती है कि इन हथियारों की पुनर्प्राप्ति के बिना हिंसा और गोलीबारी रुक सकती है? मुख्यमंत्री ने अविश्‍वसनीय रूप से रविवार को सार्वजनिक तौर पर कहा था कि छात्राओं की हत्या के मामले में "मुख्य दोषियों" को पूछताछ (मुकदमे के बारे में भूल जाओ) से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है। ऐसा लगता है कि आदिवासी तब तक दोषी हैं, जब तक निर्दोष साबित न हो जाएं।”

मणिपुर में 17 वर्षीय छात्रा हिजाम लिनथोइंगंबी और 20 वर्षीय फिजाम हेमजीत की हत्या के विरोध में पिछले हफ्ते बड़े पैमाने पर छात्रों का आंदोलन देखा गया। दोनों छात्राएं बिष्णुपुर जिले की थीं और जातीय हिंसा के चरम पर पहुंचने के दौरान 6 जुलाई को लापता हो गई थीं। इंटरनेट से प्रतिबंध हटने के बाद उनकी तस्वीरें 25 सितंबर को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित की गई थीं।

आंदोलन के दौरान लड़कियों सहित कम से कम 100 छात्र सुरक्षा बलों के साथ झड़प में घायल हो गए। झड़प तब हुई, छात्रों को मुख्यमंत्री के बंगले की ओर मार्च करने से रोका गया।

छात्रों के आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार ने राज्य के सभी स्कूलों को 5 अक्टूबर तक बंद कर दिया है और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर फिर से 6 अक्टूबर तक प्रतिबंध लगा दिया है।

--आईएएनएस

एसजीके

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