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'रिमांड आदेश में कुछ गायब': हाई कोर्ट ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक-संपादक की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा

प्रकाशित 07/10/2023, 01:57 am
'रिमांड आदेश में कुछ गायब': हाई कोर्ट ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक-संपादक की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को न्यूजक्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और मानव संसाधन प्रमुख अमित चक्रवर्ती की यूएपीए प्रावधानों के तहत दर्ज मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा।न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला के समक्ष पुरकायस्थ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि गिरफ्तारी अवैध है, उन्हें गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं बताया गया है, ट्रायल कोर्ट ने रिमांड आवेदन पर पुरकायस्थ की प्रतिक्रिया पर सुनवाई और विचार किए बिना ही रिमांड आदेश पारित कर दिया।

सिब्बल ने कहा, "वे जानते हैं कि मैं वकील हूं लेकिन फिर भी वे मुझे सूचित नहीं करते हैं। लेकिन वे अपने वकील को सूचित करते हैं। मेरे जवाब के बिना ही आदेश पारित कर दिया गया।"

दिल्ली पुलिस की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल (एसजीआई) तुषार मेहता ने मामले की सुनवाई 9 अक्टूबर को करने का अनुरोध किया और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।

हालांकि, सिब्बल ने एसजीआई के अनुरोध पर आपत्ति जताई और 9 अक्टूबर को मामले की सुनवाई होने पर अंतरिम रिहाई की मांग करते हुए कहा कि जांच अधिकारी मौजूद हैं और फाइल भी उनके पास है। उन्होंने कहा कि मामले पर सोमवार की बजाय अभी बहस की जा सकती है।

इसके बाद मेहता ने कहा कि उन्हें अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए और उन्होंने 9 अक्टूबर का समय मांगा।

सिब्बल द्वारा अंतरिम रिहाई की मांग पर जस्टिस गेडेला ने कहा कि आरोप ऐसी प्रकृति के नहीं हैं कि तत्काल रिहाई की जरूरत हो।

फिर उन्होंने एसजीआई से पूछा: "श्री मेहता, हमें बताएं... रिमांड आदेश, ऐसा लगता है कि वहां कुछ गायब है... और वकील को नहीं सुना गया।"

अदालत ने मेहता से यह भी कहा कि रिमांड आवेदन में गिरफ्तारी के आधार का खुलासा नहीं किया गया है।

अदालत ने कहा, "जाहिरा तौर पर, रिमांड आवेदन में आप गिरफ्तारी के आधार का खुलासा नहीं करते। आज, सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया है, जो आंखें तरेर रहा है।"

दिन की सुनवाई ख़त्म करते हुए कोर्ट ने कहा कि 9 अक्टूबर को सबसे पहले मामले की सुनवाई होगी।

उल्लेखनीय है कि वकील अर्शदीप सिंह ने पहले दिल्ली की एक अदालत को सूचित किया था कि प्राथमिकी और गिरफ्तारियों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की जाएगी, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला जाएगा कि आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने पहले से ही एक प्राथमिकी दर्ज की थी, और उच्च न्यायालय को मौजूदा प्राथमिकी की जानकारी नहीं दी गई।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (NS:SAIL) ने पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को मंगलवार को गिरफ्तार किया था और अगले दिन दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था।

बुधवार को अदालत ने उन्हें रिमांड आदेश की प्रति देने के अलावा अपने वकील से मिलने की अनुमति दी थी।

पटियाला हाउस कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर ने गुरुवार को आदेश दिया था कि पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की प्रति दी जाए।

उन्होंने उनके आवेदनों को अनुमति दे दी थी, जिनका दिल्ली पुलिस ने यह कहते हुए विरोध किया था कि वे समय से पहले थे।

विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि आरोपी को पहले पुलिस आयुक्त से संपर्क करना होगा, जो फिर इस संबंध में एक समिति का गठन करेंगे।

श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला देते हुए कहा था कि आरोपी को शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित चरण-दर-चरण प्रक्रिया का पालन करना होगा।

उन्होंने कहा, वे "सीधे अदालत के सामने नहीं कूद सकते"।

सिंह ने तर्क दिया था कि उन्हें प्राथमिकी की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है।

--आईएएनएस

एकेजे

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