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यह सुनिश्चित करें कि समलैंगिक समुदाय के साथ यौन रुझान के आधार पर भेदभाव न हो: सुप्रीम कोर्ट

प्रकाशित 17/10/2023, 08:13 pm
यह सुनिश्चित करें कि समलैंगिक समुदाय के साथ यौन रुझान के आधार पर भेदभाव न हो: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के साथ उनके यौन रुझान के आधार पर भेदभाव न किया जाए।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि एलजीबीटीक्‍यूआईए प्‍लस व्यक्तियों के साथ किसी भी सामान या सेवाओं तक पहुंचने में भेदभाव नहीं किया जाएगा।

इसमें कहा गया है कि सरकार समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करेगी और समलैंगिक जोड़ों के लिए जिलों में घर बनाएगी।

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय को सहायता प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा एक हॉटलाइन स्थापित की जाएगी।

इसमें कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को हार्मोनल थेरेपी से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा या इंटरसेक्स बच्चों को जबरदस्ती मेडिकल ऑपरेशन के अधीन नहीं किया जाएगा।

सभी पुलिस बलों को निर्देश जारी करते हुए, संविधान पीठ ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों को पुलिस स्टेशनों में बुलाकर या उनके निवास स्थान पर जाकर केवल उनकी लिंग पहचान या यौन अभिविन्यास के बारे में पूछताछ करके परेशान नहीं किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य मशीनरी समलैंगिक व्यक्तियों को उनकी इच्छा के विरुद्ध अपने मूल परिवारों में लौटने के लिए मजबूर नहीं करेगी।

इसमें कहा गया है कि पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे व्यक्तियों की स्वतंत्रता कम न हो और परिवार की ओर से हिंसा की आशंका वाली कोई भी शिकायत दर्ज होने पर उन्हें उचित सुरक्षा दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक जोड़े या समलैंगिक रिश्ते में किसी एक पक्ष के खिलाफ कोई भी एफआईआर दर्ज करने से पहले, पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए प्रारंभिक जांच करेगी कि उनके रिश्ते के संबंध में शिकायत एक संज्ञेय अपराध है।

--आईएएनएस

सीबीटी

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