पणजी, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। गोवा सरकार ने म्हादेई टाइगर रिजर्व के संबंध में समय बढ़ाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर किया है।म्हादेई टाइगर रिजर्व को अधिसूचित करने की समय सीमा 24 अक्टूबर को समाप्त हो रही है।
महाधिवक्ता देवीदास पंगम ने आईएएनएस को बताया कि चूंकि समय सीमा 24 अक्टूबर को समाप्त हो रही है, इसलिए सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ के समक्ष आवेदन दायर कर और समय मांगा है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को गोवा सरकार को राज्य में तीन महीने के भीतर म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश दिया था।
उच्च न्यायालय गोवा फाउंडेशन (एक स्थानीय एनजीओ) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसने राज्य में एक बाघ अभयारण्य को अधिसूचित करने के लिए अदालत से निर्देश मांगा था।
इसके बाद गोवा सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
पंगम ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किए हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि इस मामले में वह क्या फैसला देता है।”
सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई नवंबर के दूसरे सप्ताह में होगी, इसलिए गोवा सरकार को टाइगर रिजर्व की अधिसूचना के संबंध में उच्च न्यायालय से समय बढ़ाने की मांग करनी चाहिए।
कुछ दिन पहले, पूर्व केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री जयराम रमेश ने कहा था कि गोवा सरकार के पास 24 अक्टूबर, 2023 तक म्हादेई टाइगर रिजर्व को अधिसूचित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
जयराम रमेश ने एक्स पर कहा, “24 जुलाई, 2023 को बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ ने कुछ याचिकाओं के जवाब में गोवा सरकार को म्हादेई को टाइगर रिजर्व घोषित करने का निर्देश दिया। ऐसा करने के लिए गोवा सरकार को तीन महीने का समय दिया गया। इसके बाद गोवा सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन 25 सितंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।”
उन्होंने कहा, ''तो अब, गोवा सरकार के पास 24 अक्टूबर, 2023 तक म्हादेई टाइगर रिजर्व को अधिसूचित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बेशक, चीता परियोजना के मामले में पीएम श्रेय लेने का प्रयास करेंगे। लेकिन शासन में निरंतरता जरूरी है, जिसे वह कभी स्वीकार नहीं करते।''
गोवा सरकार ने यह दावा करते हुए राज्य में बाघ अभयारण्य स्थापित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था कि गोवा के छोटे वन्यजीव अभयारण्य राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की स्थापना के मानदंडों में फिट नहीं बैठते हैं।
--आईएएनएस
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