इस्लामाबाद, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने पाकिस्तान की तीन दिवसीय यात्रा के पहले दिन सोमवार को यहां मेजबान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश को विफल कर दिया।संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान अपना प्रारंभिक वक्तव्य देते हुए शरीफ ने इस्लामाबाद और नई दिल्ली के बीच कश्मीर विवाद पर पाकिस्तान का पक्ष लेने के लिए ईरानी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया।
शरीफ ने कहा, "हम कश्मीर मुद्दे पर समर्थन के लिए ईरान के आभारी हैं।" उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने आपसी हित और क्षेत्रीय चिंता के मामलों को चिह्नित किया है और उन पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है।
हालांकि, ईरानी राष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया और इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष के बारे में बात करने पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रधानमंत्री आवास पर संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अपने प्रारंभिक वक्तव्य के दौरान उन्होंने कहा, "अब यह स्पष्ट हो गया है कि कैसे संयुक्त राष्ट्र अपने कर्तव्य का पालन करने और गाजा में इजरायल द्वारा निर्दोष फिलिस्तीनियों के चल रहे नरसंहार को रोकने में विफल रहा है।"
ईरानी राष्ट्रपति की टिप्पणियों को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर कश्मीर विवाद पर समर्थन जुटाने के बार-बार के प्रयासों के मामले में इस्लामाबाद की स्पष्ट उपेक्षा के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक अब्दुल्ला मोमंद ने कहा, "पाकिस्तान को ईरान और भारत के बीच संबंधों के बारे में बेहतर पता होना चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री को प्रेस वार्ता के दौरान कश्मीर का उल्लेख करने में सावधानी बरतनी चाहिए थी, यह जानते हुए कि ईरान का मुख्य ध्यान इज़रायल के साथ अपने मौजूदा संघर्ष पर है।"
उन्होंने कहा, "कश्मीर मुद्दा और समर्थन जुटाने के लिए पाकिस्तान के कूटनीतिक प्रयास इतने मजबूत नहीं हैं कि किसी देश के रईसी के स्तर के सर्वोच्च नेता से समर्थन में एक बयान मिल सके। यह देखना काफी शर्मनाक था कि हमारे प्रधानमंत्री ने कश्मीर विवाद पर सहायक रुख के लिए ईरानी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया, एक ऐसा रुख जिसकी रईसी द्वारा न तो पहल की गई थी और न ही उस पर प्रतिक्रिया दी गई।"
हालांकि, दोनों पक्ष व्यापार को कम से कम 10 अरब डॉलर तक बढ़ाने पर सहमत हुए।
रईसी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, "हम संबंधों को उच्च स्तर पर मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ईरान और पाकिस्तान के बीच व्यापार की मात्रा स्वीकार्य नहीं है। हमने पहले कदम के रूप में अपने द्विपक्षीय व्यापार को 10 अरब डॉलर तक बढ़ाने का फैसला किया है।"
दोनों देशों के बीच कम से कम 10 एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए जिनका उद्देश्य व्यापार और विकास की दिशा में आपसी सहयोग बढ़ाना है।
--आईएएनएस
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