नई दिल्ली, 16 जनवरी (आईएएनएस)। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक (नोमुरा) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गाजा में इजरायल की कार्रवाई के जवाब में हौथी विद्रोहियों द्वारा कमर्शियल जहाजों पर किए गए हमलों के कारण लाल सागर में आपूर्ति-संबंधी व्यवधान को देखते हुए आने वाले महीनों में भारत का व्यापार घाटा अस्थिर हो सकता है।रिपोर्ट के अनुसार, भारत का माल व्यापार घाटा नवंबर के 20.6 अरब डॉलर से कम होकर दिसंबर में 19.8 अरब डॉलर हो गया, क्योंकि निर्यात में 0.96 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि आयात में 4.9 प्रतिशत की कमी आई।
हालांकि, लाल सागर में हौथी हमलों में बढ़ोतरी के साथ जहाजों को अब यूरोप के लिए स्वेज़ नहर मार्ग से बचने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
इसका असर जनवरी के दौरान निर्यात में मंदी के रूप में दिखने की उम्मीद है।
पारगमन लागत और परिवहन समय में तेज वृद्धि से विशेषकर यूरोप और अमेरिका के साथ भारतीय व्यापार प्रभावित होने की संभावना है।
मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि यूरोप को होने वाले लगभग 65 प्रतिशत निर्यातों को अब केप ऑफ गुड होप के आसपास लंबे मार्ग का उपयोग करना पड़ रहा है।
मालभाड़ा और बीमा लागत बढ़ने से निर्यात पर असर पड़ने की संभावना है, जैसा कि समाचार रिपोर्टों से पहले ही पता चल चुका है कि यूरोप को दैनिक पेट्रोलियम निर्यात में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।
नोमुरा का अनुमान है कि चालू खाता घाटा (सीएडी) 2023-24 की चौथी तिमाही में जीडीपी के 1.6 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा, जो एक तिमाही पहले जीडीपी का 1 प्रतिशत था। कुल मिलाकर, भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद, उसका अनुमान है कि सीएडी वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी के 2 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी का 1.1 प्रतिशत हो जाएगा।
भारतीय निर्यात में आमतौर पर यूरोप की हिस्सेदारी 15-16 फीसदी है, जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी 17-18 फीसदी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉजिस्टिक्स की बढ़ती लागत और कच्चे तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि से देश के आयात बिल में बढ़ोतरी हो सकती है।
नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि आयात की लागत बढ़ने पर निर्यात में तेजी से गिरावट आती है, तो व्यापारिक व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
--आईएएनएस
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