नयी दिल्ली, 24 मार्च (आईएएनएस)। कच्चे तेल एवं गैस की खोज और उत्पादन से जुड़ी (अपस्ट्रीम) सरकारी कंपनियों का प्राकृतिक गैस कारोबार घरेलू कीमतों में होने वाली संभावित तेजी से फायदे में आ सकता है।रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण रूस के कच्चे तेल के उठाव में काफी कमी आयी है, जिससे कच्चे तेल और गैस के दाम बढ़ गये हैं।
रेटिंग एजेंसी का कहना है कि तेल की कीमतों में तेजी देश पर वित्तीय बोझ बढ़ाती है लेकिन इससे अपस्ट्रीम तेल कंपनियों को लाभ होता है।
इक्रा के मुताबिक वित्त वर्ष 22 की दूसरी छमाही के लिये घरेलू गैस की कीमत 2.9 डॉलर प्रति मिट्रिक मिलियन बीटीयू निर्धारित की गयी थी, जो कम है और इसी कारण गैस उत्पादन का कारोबार भी अधिकतर कंपनियों के लिये हानि वाला कारोबार रहा है।
इसके अलावा इस बार पेट्रोलियम की मांग में भी सुधार आया है जबकि गत वित्त वर्ष मांग में अपेक्षाकृत कमी देखी गयी थी।
रेटिंग एजेंसी का कहना है कि हाल के महीनों में सिंगापुर ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) में सुधार देखा जा रहा था लेकिन कच्चे तेल की ऊंची कीमत और सुस्त वैश्विक मांग इसे प्रभावित कर सकती है।
हालांकि, निकट अवधि में भंडार में बढ़ोतरी हो सकती है जिससे जीआरएम में मदद मिल सकती है।
इक्रा ने कहा कि वाहनों के ईंधन का खुदरा मूल्य बहुत धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है जिससे तेल कंपनियों को ज्यादा दिनों तक नुकसान होता रह सकता है।
रेटिंग एजेंसी का कहना है कि रूस और यूक्रेन से भारत का कमोडिटी आयात दो फीसदी से भी कम है। भारत मुख्य रूप से तेल, सोने, धातु और रसायनों का आयात करता है। रूस पर लगाये गये प्रतिबंधों से इन कमोडिटी के दाम में तेजी आ रही है।
इसी प्रकार भारत के विकास और महंगाई दर को लेकर चिंता बढ़ रही है। अगर कमोडिटी के दाम लंबे समय तक बढ़ते रहे तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
--आईएएनएस
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