नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस) भारत के कपड़ा उद्योग का निर्यात वित्त वर्ष 2025-26 में बढ़कर 65 अरब डॉलर के आंकड़े को छू सकता है। इन्वेस्ट इंडिया द्वारा जारी अनुमान में यह जानकारी दी गई। इन्वेस्ट इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि देश में घरेलू और निर्यात बाजार के लिए कपड़ा उद्योग का उत्पादन 10 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ 2030 तक 350 अरब डॉलर के आंकड़े को छू सकता है।
यह अनुमान 2022 में भारतीय कपड़ा उद्योग के बाजार के आकार 165 अरब डॉलर के आधार पर जारी किया गया है, जिसमें से 125 अरब डॉलर का घरेलू बाजार और 40 अरब डॉलर का निर्यात था।
इन्वेस्ट इंडिया की ओर से सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर किए गए एक पोस्ट में कहा गया कि पीएम मोदी का 'फाइबर-टू-फैशन' विजन भारत के कपड़ा उद्योग को वैश्विक मार्केट में एक शक्ति बनने में मदद कर रहा है। साथ ही स्थानीय प्लेयर्स के लिए क्षमता और प्रौद्योगिकी लाने में मदद कर रहा है।
भारत दुनिया में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनकर उभरा है। पीपीई किट की मांग कोरोना के समय दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ी थी।
इन्वेस्ट इंडिया रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 600 से ज्यादा सर्टिफाइ़ड पीपीई किट का उत्पादन करने वाली कंपनियां हैं। 2025 में इसका मार्केट बढ़कर 92.5 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है, जो कि 2019 में 52.7 अरब डॉलर का था।
कपड़ा उद्योग नौकरियां देने में भी देश में बड़ी भूमिका निभाता है। इससे देश में 4.5 करोड़ प्रत्यक्ष रोजगार और 10 करोड़ से ज्यादा से रोजगार इससे जुड़े क्षेत्रों में पैदा होते हैं।
देश में कपड़ा उद्योग की स्थिति को बदलने के लिए भारत सरकार की ओर से 10,683 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम (पीएलआई) स्कीम लाई गई थी। इस पहल का उद्देश्य मानव निर्मित फाइबर परिधान और कपड़ों के साथ-साथ तकनीकी कपड़े का उत्पादन बढ़ाना है।
कपड़ा क्षेत्र के लिए लाई गई पीएलआई स्कीम के तहत 64 आवेदनों को मंजूरी दी गई है। इसमें 19,798 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव है। इससे 1.93 लाख रुपये का अनुमानित टर्नओवर देखने को मिल सकता है। इससे करीब 2.45 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकता है।
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