नयी दिल्ली , 4 मई (आईएएनएस)। केंद्र सरकार स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के मकसद से इस दशक के अंत तक यानी अगले आठ साल में 10 करोड़ टन कोयले को गैसीकृत करने के अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिये पीपीपी मॉडल पर काम करेगी।केंद्र इसके लिये इस शुक्रवार को मुम्बई में निवेशक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। केंद्र सरकार इस सम्मेलन के जरिये निजी भागीदारों को आकर्षित करने का प्रयास करेगी।
कोयला एवं खदान मंत्री प्रल्हाद जोशी इस सम्मेलन का शुभारंभ करेंगे। वह इसके शुभारंभ सत्र की अध्यक्षता करेंगे और निजी निवेशकों की उम्मीदों को समझने का प्रयास करेंगे।
भारत के पास 307 अरब टन का कोयला भंडार है और यहां उत्पादित करीब 80 प्रतिशत कोयला ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।
सरकार ने पर्यावरण के लिहाज से 2030 तक 10 करोड़ टन कोयले को गैसीकृत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
कोयले से निकली सिनगैस का इस्तेमाल हाइड्रोजन, सिंथेटिक प्राकृतिक गैस या मिथेन, मेथनॉल, इथनॉल, सिंथेटिक डीजल, ओलेफिन, प्रोपीलीन, अमोनियया, औद्योगिक रयायन आदि के लिये किया जाता है।
--आईएएएनएस
एकेएस/एएनएम