नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर शक्तिकांत दास की ओर से बुधवार को बैंक और एनबीएफसी कंपनियों को असुरक्षित लोन को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि कुछ ऋणदाता तेज विकास के लिए मजबूत अंडरराइटिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। बैंकिंग व्यवस्था में अंडरराइटिंग का मतलब ग्राहक की लोन चुकाने की क्षमता का आकलन करना होता है। आरबीआई मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) के फैसलों का ऐलान करते हुए गवर्नर ने कहा कि एनबीएफसी कंपनियों द्वारा स्वयं सुधार करना वांछित विकल्प है। आरबीआई द्वारा भी इन एनबीएफसी पर करीब से निगाह रखी जा रही है और हम जरूरत पड़ने पर कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे।
दास ने कहा कि कुछ एनबीएफसी में मांग के कारण नहीं, बल्कि रिटेल टारगेट के कारण वृद्धि देखने को मिल रही है। नियामक की ओर से असुरक्षित लोन, एमएफआई (माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन) लोन और क्रेडिट कार्ड्स के डेटा को नजदीक से मॉनिटर किया जा रहा है। कुछ एनबीएफसी कंपनियां, जिसमें एमएफआई और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां शामिल हैं, वे इक्विटी पर अधिक से अधिक रिटर्न पाने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि, यह पूरे सेक्टर में सामान्य नहीं है। ऐसी कंपनियों के साथ आरबीआई बातचीत कर रहा है।
दास की ओर से बुधवार सुबह 10 बजे आरबीआई एमपीसी के फैसले का ऐलान किया गया। केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एमपीसी के छह में से पांच सदस्य रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में थे। ब्याज दरों को स्थिर रखने के साथ एमपीसी की ओर से मौद्रिक नीति रुख को विड्रॉइंग अकोमोडेशन से न्यूट्रल कर दिया गया है। इससे केंद्रीय बैंक को महंगाई की दिशा के मुताबिक, ब्याज दरों को तय करने में मदद मिलेगी।
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