सेंट पीटर्सबर्ग, 23 जून (आईएएनएस)। यूक्रेन पर हमला करने के विरोध में रूस पर लगाए गए सख्त प्रतिबंध वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार में नाटकीय बदलाव ला रहे हैं।वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस तरह से मची खलबली और आपूर्ति बाधा ऊर्जा की कमी का कारण बन सकती है, लेकिन इन सभी बाधाओं के बावजूद प्रमुख ऊर्जा उत्पादक देशों में शामिल रूस, वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम के हिस्से के रूप में ऊर्जा पैनल सत्र में हाइड्रोकार्बन बाजारों में आए इस अभूतपूर्व बदलाव को संबोधित किया गया था। फोरम के वर्षगांठ संस्करण का शीर्षक नई दुनिया - नए अवसर था और इसमें आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी मुद्दों को संबोधित किया गया था। ऊर्जा पैनल सत्र में रूस की तेल कंपनी रोजनेफ्ट के सीईओ इगोर सेचिन शरीक हुए थे।
ओएनजीसी (NS:ONGC) विदेश के प्रबंध निदेशक और सीईओ आलोक कुमार गुप्ता, सीएनपीसी के अध्यक्ष दाई हुलियांग, ओपीएचआईआर के सीईओ प्रेडो एक्विनो जूनियर और आईईए के पूर्व कार्यकारी निदेशक नोबुओ तनाका भी इसमें शामिल हुए थे।
अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों, राष्ट्रीय नियमों और राजनीतिक एजेंडेबाजी की प्राथमिकताओं में लगातार बदलाव के बीच महामारी और ऊर्जा की किल्लत ने शेयरधारकों को लंबी अवधि के निवेश के लिए अनिच्छुक बना दिया है और एजेंडे के प्रति उनके भरोसे को खत्म कर दिया है। इसकी वजह से अल्पकालिक निवेश को प्राथमिकता मिल रही है और कंपनियां विकास में निवेश को कम करते हुए लाभांश बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
रोजनेफ्ट के प्रमुख इगोर सेचिन ने ऊर्जा पैनल सत्र में दिए अपने संबोधन में कहा कि कच्चे तेल की किल्लत को दूर करने के लिए 2030 तक 400 अरब डॉलर के अतिरिक्त निवेश की जरूरत होगी। यह राजनीतिक और आर्थिक रूप से असंभव है।
रूस विरोधी प्रतिबंधों ने तथाकथित ग्रीन ट्रांजिशन को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया है, जिसे बाजार में बदलाव करने के तरीके के रूप में देखा गया था। पश्चिमी देश ग्रीन ट्रांजिशन में तेजी लाने और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए तर्क देते रहे हैं, लेकिन वास्तव में वे इसके विपरीत कार्य करते हैं और कार्बन फुटप्रिंट को बढ़ाते हैं तथा अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नष्ट करते हैं।
आर्थिक नीति के लक्ष्य केवल अर्थव्यवस्था तक ही सीमित नहीं रह सकते। प्रतिबंधों से बाधित आवश्यक उत्पादन श्रृंखलाओं की बहाली ने तकनीकी संप्रभुता की ओर एक कदम बढ़ाया है। रूस में तेल बाजार का एक संशोधित स्वरूप पहले से ही आकार ले रहा है, जहां दो मूल्य रूपरेखाएं बनाई गई हैं। मित्र राष्ट्रों के लिए एक उचित बाजार मूल्य और एक अतिरिक्त प्रीमियम, जिसे क्षतिपूर्ति के लिए अमित्र देशों के लिए कीमत में जोड़ा जाएगा। ऐसा पूर्व भागीदारों द्वारा नियमों और दायित्वों के उल्लंघन के कारण किया जाएगा।
अपनी ऊर्जा क्षमता और परियोजनाओं के पोर्टफोलियो के साथ, रूस किफायती ऊर्जा संसाधनों के साथ दीर्घकालिक वैश्विक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है।
रूस का वोस्तोक तेल एक उदाहरण के रूप में है। यह दुनिया की सबसे बड़ी तेल परियोजना है और इतने बड़े पैमाने की एकमात्र चालू परियोजना है।
वोस्तोक ऑयल का संसाधन आधार 6.2 अरब टन है और इसके क्षेत्रों के तेल में सल्फर की मात्रा 0.01 प्रतिशत से 0.1 प्रतिशत और घनत्व लगभग 40 एपीआई है।
स्पष्ट रूप से वोस्तोक ऑयल उद्योग में उच्चतम दक्षता और स्थिरता स्तरों में से एक है, जो इसके शेयरधारकों के लिए अत्यधिक फायदेमंद होगा। अब इस परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह उथलपुथल भरे माहौल में हाइड्रोकार्बन बाजारों को स्थिर कर सकता है।
--आईएएनएस
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