नयी दिल्ली , 23 जून (आईएएनएस)। नासकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस (एआई) और डाटा यूटिलाइजेशन रणनीति को अपनाने से 2025 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान बढ़कर 500 अरब डॉलर हो जाएगा।नासकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक चार प्रमुख क्षेत्रों बीएफएसआई, कंज्यूमर पैकेटबंद सामान, स्वास्थ्य और इंडस्ट्रियल या ऑटोमोटिव में एआई को अपनाने से 500 अरब डॉलर में 60 फीसदी योगदान इन्हीं क्षेत्रों का होगा।
भारत में एआई में निवेश 30.8 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रहा है और इसके अगले साल तक 88.1 करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, एआई क्षेत्र में 340 अरब डॉलर के वैश्विक निवेश में भारत का निवेश महज ढाई प्रतिशत ही है।
नासकॉम का कहना है कि इससे भारतीय कंपनियों के लिए एआई में निवेश करने की अपार संभावनायें हैं। वित्त वर्ष 2026-27 तक 10 अरब डॉलर के जीडीपी लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को एआई अपनाने के दिशा में तेज प्रयास करने होंगे।
तेजी से होते डिजिटलीकरण के कारण भारतीय कंपनियां पहले ही एआई की यात्रा पर निकल चुकी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 65 प्रतिशत कंपनियों ने एआई रणनीति को अपनाया है। भारत एआई के लिए सबसे बड़ा टैलेंट हब है। यह एआई टैलेंस की ट्रेनिंग और नियुक्ति में दूसरा बड़ा वैश्विक हब है।
एआई एप्लिकेशन में हुई तेज बढ़ोतरी के कारण एआई पेशेवरों की मांग भी बढ़ी है लेकिन पिछले दो साल में टैलेंट मांग जितनी तेजी से बढ़ी है, उतनी तेजी से आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
देश के 44 प्रतिशत कारोबार में एआई टीम है जबकि 25 प्रतिशत कारोबार इसके लिए आउटसोर्सिग के भरोसे हैं।
देश का हेल्थकेयर बाजार अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण 2016 के 110 अरब डॉलर से तीन गुना बढ़कर 2022 में 372 अरब डॉलर का हो गया है।
स्वास्थ्य प्रणाली में एआई के इस्तेमाल ने बेहतरी लाई है और इससे 2025 तक इस क्षेत्र में 25 अरब डॉलर की बढ़ोतरी होगी।
--आईएएनएस
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