मुंबई, 8 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक नवंबर को समाप्त होने वाले हफ्ते में 2.6 अरब डॉलर गिरकर 682.13 अरब डॉलर हो गया है।हालांकि, इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार के मुख्य घटकों में से एक गोल्ड रिजर्व 1.2 अरब डॉलर बढ़कर 69.8 अरब डॉलर हो गया है।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वैश्विक उथलपुथल के बीच गोल्ड की खरीदारी में बढ़त देखी जा रही है। ऐसी स्थिति में गोल्ड महंगाई या अनिश्चित आर्थिक परिस्थितियों में एक हेज के रूप में काम करता है। महंगाई में कमी के बाद भी गोल्ड की कीमतें ऑल-टाइम हाई पर बनी हुई है।
इसके अलावा देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड की हिस्सेदारी 2018 से 210 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर के अंत में 704.885 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। इसके कारण भारत अपनी विदेशी मुद्रा भंडार के आकार में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर पहुंच गया था।
आरबीआई के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में देश का विदेशी मुद्रा भंडार कुल मिलाकर 34.5 बिलियन डॉलर बढ़ गया है, जो भुगतान संतुलन के आधार पर 11.2 महीनों के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है। यह अर्थव्यवस्था के मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियाद को दर्शाता है।
आरबीआई की ओर से विदेशी मुद्रा भंडार को रुपये में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए जब विदेशी निवेशकों के द्वारा शेयर बाजार में भारी बिकवाली की जाती है, ऐसी स्थिति में डॉलर की मांग बढ़ने के कारण रुपये में तेज गिरावट आती है तो केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग कर रुपये की कीमत को गिरने से रोकता है।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रबी शंकर ने गुरुवार को एक मीडिया कार्यक्रम में कहा कि आरबीआई अत्यधिक विनिमय दर की अस्थिरता को संभालने के लिए अच्छी तरह से तैयार है, क्योंकि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने के कारण रुपये में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
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