मुंबई, 6 अगस्त (आईएएनएस)। लगातार चार सप्ताह तक गिरने के बाद 29 जुलाई को खत्म होने वाले सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 2.4 अरब डॉलर बढ़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साप्ताहिक पूरक सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार, 29 जून को खत्म होने वाले हफ्ते के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.315 अरब डॉलर बढ़कर 573.875 अरब डॉलर हो गया।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, रिजर्व बैंक ने विनिमय दर में अस्थिरता को रोकने के लिए वर्षों से संचित अपने विदेशी मुद्रा भंडार का भी उपयोग किया है।
चालू वित्त वर्ष (4 अगस्त तक) के दौरान प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर सूचकांक (डीएक्सवाई) में 8.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस परिवेश में, भारतीय रुपया इसी अवधि के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 4.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ अपेक्षाकृत व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ा है, जो कई आरक्षित मुद्राओं के साथ-साथ इसके कई ईएमई और एशियाई साथियों की तुलना में काफी बेहतर है।
भारतीय रुपये का गिरना भारतीय अर्थव्यवस्था के व्यापक आर्थिक मूल सिद्धांतों में कमजोरी के बजाय अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है।
दास ने कहा, आरबीआई द्वारा बाजार के हस्तक्षेप ने अस्थिरता को नियंत्रित करने और रुपये की व्यवस्थित गति सुनिश्चित करने में मदद की है। हम सतर्क हैं और भारतीय रुपये की स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित है।
जुलाई में, विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजारों में लगभग 4,980 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, लगभग 10 महीनों के बाद भारतीय इक्विटी में शुद्ध खरीदार बन गए। यह इन संस्थाओं द्वारा लगभग 50,203 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली के बाद आया है।
एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई महीने में विदेशी निवेशकों का निवेश 4,989 करोड़ रुपये रहा, जबकि जून में 50,000 करोड़ रुपये, मई में 39,993 करोड़ रुपये और अप्रैल में 17,144 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था।
एशिया के अन्य केंद्रीय बैंकों ने भी अपनी मुद्रा की रक्षा के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया।
गिरावट के बावजूद, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार विश्व स्तर पर चौथा सबसे बड़ा भंडार है।
--आईएएनएस
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