नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)। ज्यादातर एशिया-प्रशांत देशों की अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर 2025 की पहली तिमाही में मजबूत रहेगी। हालांकि, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में नई सरकार बनने के कारण चीनी अर्थव्यवस्था के समाने चुनौतियां बरकरार रहेगी। यह जानकारी सोमवार को एसएंडपी ग्लोबल द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में दी गई। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि चीनी निर्यात पर उच्च अमेरिकी टैरिफ अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को अमेरिका में अधिक प्रतिस्पर्धी बना देगा और वे अमेरिकी कंपनियों सहित अन्य देशों की कंपनियों से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित कर सकते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि ब्याज दरों और महंगाई में कमी से खर्च करने की क्षमता पर पड़ने वाले दबाव में कमी आएगी, जिससे 2025 में कई एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर में तेजी आएगी।
रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका में (चीन को लेकर) टैरिफ वृद्धि की संभावना बढ़ गई है। धीमी वैश्विक मांग और अमेरिकी व्यापार नीति के कारण जोखिम बढ़ गए हैं।
एसएंडपी ग्लोबल को उम्मीद है कि अमेरिका के टैरिफ का चीन की अर्थव्यवस्था पर असर होगा और 2025 में चीनी अर्थव्यवस्था की विकास दर 4.1 प्रतिशत रह सकती है। वहीं, भारत की विकास दर 2025 में 6.8 प्रतिशत पर रह सकती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि अब हम 2025 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कम कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। हमें दिसंबर में एक और कटौती की उम्मीद है। लेकिन अब हम 2025 में केवल तीन कटौती की उम्मीद कर रहे हैं और हमें लगता है कि 3 प्रतिशत-3.25 प्रतिशत का टर्मिनल स्तर 2026 के अंत में ही पहुंच पाएगा। हमें उम्मीद है कि नीति दर 2025 की पहली तिमाही में ही 2.5 प्रतिशत के टर्मिनल स्तर पर पहुंच जाएगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत थी, जो कि वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
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