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भारत की मेड-टेक इंडस्ट्री का निर्यात अगले 6 वर्षों में हो सकता है पांच गुणा : सीआईआई

प्रकाशित 01/12/2024, 09:31 pm
भारत की मेड-टेक इंडस्ट्री का निर्यात अगले 6 वर्षों में हो सकता है पांच गुणा : सीआईआई
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नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत की मेडिकल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री का निर्यात 2030 तक पांच गुणा बढ़कर 20 अरब डॉलर हो सकता है, जो मौजूदा समय में 4 अरब डॉलर है। हालांकि, इसके लिए सरकारी इंसेंटिव की आवश्यकता है। यह जानकारी इंडस्ट्री बॉडी सीआईआई ने दी।कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) में नेशनल मेडिकल टेक्नोलॉजी फोरम के चेयरमैन, हिमांशु बैद ने कहा कि मेडिकल टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम मौजूदा समय में कुछ चुनिंदा मेडिकल उपकरणों के लिए उपलब्ध है, जिसका विस्तार सभी उत्पादों तक, साथ ही निर्माताओं को 'छिपी हुई लागतों की प्रतिपूर्ति' के लिए निर्यात प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा, "आज हम देश में आवश्यक मेडिकल उपकरणों का लगभग 60 से 70 प्रतिशत आयात कर रहे हैं। जबकि, हमारी मैन्युफैक्चरिंग अभी भी बहुत कम है क्योंकि जरूरत के मेडिकल उपकरणों में से लगभग 30 प्रतिशत की ही देश में मैन्युफैक्चरिंग होती है। हमारा आयात हमारे निर्यात से कहीं अधिक है। हमारा आयात लगभग 8 अरब डॉलर है और हमारा निर्यात 4 अरब डॉलर के करीब है।"

बैद ने आगे कहा कि चीन प्लस वन रणनीति का फायदा उठाते हुए हम आसानी से इस इंडस्ट्री को तेजी से बढ़ा सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि 2030 तक एक तरफ देश का निर्यात बढ़ेगा। वहीं, आयात 8 अरब डॉलर से घटकर 3 से 4 अरब डॉलर तक आ सकता है।

बैद के मुताबिक, इंडस्ट्री को व्यापार में आसानी के लिए कुछ सुधारों की आवश्यकता है, जिसमें क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर के समय नियमों की जटिलता आदि शामिल है, जिससे देश का निर्यात और मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित होती है।

बैद ने जोर देते हुए कहा कि भारत में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा करीब 3,000 उत्पादों को नियमन किया जाता है। हमें पूरे सेक्टर के लिए पीएलआई जैसी स्कीम की आवश्यकता है। पीएलआई स्कीम को केवल कुछ उत्पादों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। सरकार को वैश्विक बाजारों में आगे बढ़ने के लिए देश में होने वाले प्रत्येक मैंन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मेडिकल उपकरण इंडस्ट्री के लिए मौजूदा पीएलआई योजना में केवल 28 कंपनियों शामिल हैं। इसका बजट 3,400 करोड़ रुपये है और केवल 10 से 20 प्रतिशत फंड का उपयोग किया गया है।

बैद ने कहा कि भारत के निर्यात बुनियादी ढांचे में सुधार करने की जरूरत है। हम अपने कंटेनरों को देश से बाहर भेजने के लिए दो से तीन सप्ताह तक इंतजार नहीं कर सकते, जबकि चीन में, जहाज से उत्पाद बाहर भेजने में शायद दो या तीन दिन का समय लगता है।

--आईएएनएस

एबीएस/एबीएम

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