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भारत में पीली धातु की मांग दूसरी तिमाही में 43 प्रतिशत बढ़ी: वल्र्ड गोल्ड काउंसिल

प्रकाशित 19/08/2022, 03:59 am
© Reuters भारत में पीली धातु की मांग दूसरी तिमाही में 43 प्रतिशत बढ़ी: वल्र्ड गोल्ड काउंसिल
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मुंबई, 18 अगस्त (आईएएनएस)। कोरोनावायरस महामारी के कारण आई आर्थिक मंदी की चपेट से बाहर निकलकर भारत में दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में सोने की मांग पिछले साल की इसी तिमाही की तुलना में 43 फीसदी बढ़ी है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।मूल्य-वार 2022 में भारत की दूसरी तिमाही में सोने की मांग का मूल्य (गोल्ड डिमांड वैल्यू) 79,270 करोड़ रुपये रही है, जो कि 2021 की दूसरी तिमाही (51,540 करोड़ रुपये) की तुलना में 54 प्रतिशत की वृद्धि है।

2021 में दूसरी तिमाही (94 टन) की तुलना में 2022 की दूसरी तिमाही के लिए भारत में कुल आभूषण मांग 49 प्रतिशत बढ़कर 140.3 टन हो गई।

विश्व स्तर पर आभूषण क्षेत्र में, दूसरी तिमाही में सोने की मांग साल-दर-साल 4 प्रतिशत बढ़कर 453 टन हो गई, जिससे भारतीय मांग में सुधार हुआ, जो कि 2021 की दूसरी तिमाही की तुलना में 49 प्रतिशत अधिक है। भारत में मजबूत प्रदर्शन चीन में 28 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट को संतुलित करता है, जहां बाजार कोविड लॉकडाउन से प्रभावित है, जिसने आर्थिक गतिविधियों को रोक दिया और उपभोक्ता खर्च को बाधित किया।

वल्र्ड गोल्ड काउंसिल में क्षेत्रीय सीईओ, भारत, सोमसुंदरम पीआर ने कहा, 2022 की दूसरी तिमाही के लिए भारत की सोने की मांग ने पहली तिमाही में महामारी की वजह से पैदा हुई चिंता को पीछे छोड़ दिया और त्योहारों और शादी की खरीदारी से चिह्न्ति, 43 प्रतिशत साल-दर-साल बढ़कर 170.7 टन हो गया। अक्षय तृतीया के साथ पारंपरिक शादी की खरीदारी से आभूषणों की मांग 49 प्रतिशत बढ़कर 140.3 टन हो गई, हालांकि पिछले साल की दूसरी तिमाही के रूप में कम आधार पर कोविड की विनाशकारी दूसरी लहर से प्रभावित था। पहली छमाही की कुल आभूषण मांग 234 टन तक पहुंच गई, जो साल-दर-साल 6 फीसदी अधिक है। सोने का निवेश, यानी बार और सिक्के की दूसरी तिमाही में मांग 30 टन थी, जो साल-दर-साल 20 फीसदी अधिक है, जबकि 2022 में पहली छमाही की मांग साल-दर-साल 11 फीसदी मजबूत है। सोने की मांग को इक्विटी बाजारों में उतार-चढ़ाव और मुद्रास्फीति (महंगाई) की उम्मीदों से समर्थन मिला।

वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की नवीनतम गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स रिपोर्ट से पता चला है कि दूसरी तिमाही में वैश्विक सोने की मांग (ओटीसी को छोड़कर) साल-दर-साल 8 फीसदी घटकर 948 टन रही।

वैश्विक स्तर पर गोल्ड बार और सिक्के की मांग साल-दर-साल स्थिर रही और दूसरी तिमाही में 245 टन रही। मांग में वृद्धि भारत, मध्य पूर्व और तुर्की से विशेष रूप से आई, जिसने चीनी मांग में कमजोरी को संतुलित करने में मदद की, जो आंशिक रूप से निरंतर कोरोनावायरस लॉकडाउन द्वारा संचालित थी।

सोमसुंदरम ने कहा कि 2022 में दूसरी छमाही में जाते हुए, भारत में आभूषण की मांग में गिरावट का जोखिम है। उन्होंने बताया कि यह आर्थिक ²ष्टिकोण पर अनिश्चितता, एक उच्च आयात शुल्क और सोने की खरीद पर अतिरिक्त प्रतिबंधों की संभावना के कारण है।

उन्होंने कहा कि सामान्य मानसून, उच्च मुद्रास्फीति और सीमाबद्ध कीमतों की संभावना से मांग में तेजी आ सकती है।

उन्होंने आगे कहा कि सोने की कीमत 31 मार्च को 43,994 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जबकि 30 जून को यह 46,504 रुपये प्रति 10 ग्राम थी।

2022 की दूसरी तिमाही में भारत में रिसाइकल किया गया कुल सोना 18 फीसदी बढ़कर 23.3 टन हो गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 19.7 टन था।

तिमाही में आयात में भी 34 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो कि 170 टन रही, जबकि 2021 में इसी अवधि में 131.6 टन थी।

सोमसुंदरम ने कहा, भले ही मांग लगभग सामान्य हो गई है, भारतीय सर्राफा बाजार कुछ मौलिक संरचनात्मक सुधारों जैसे अनिवार्य हॉलमार्किं ग और एक्सचेंज ट्रेडिंग के साथ बदल रहा है।

उन्होंने कहा, इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (आईआईबीएक्स) का प्रस्तावित लॉन्च भारत को एक विश्वसनीय और कुशल व्यापारिक केंद्र बनाने और वैश्विक सर्राफा बाजारों में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए एक यात्रा शुरू करेगा।

आईआईबीएक्स सर्राफा उद्योग में एक विश्वसनीय वैश्विक इकाई के रूप में उभरने के लिए बाध्य है। जैसे-जैसे अनिश्चित दुनिया में सर्राफा का महत्व बढ़ता है, आईआईबीएक्स द्वारा समर्थित एक विश्वसनीय इको-सिस्टम सोने में निवेशकों को वैश्विक लाभ प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि सोने के मुद्रीकरण के भारत के प्रयासों को गिफ्ट सिटी में पारदर्शी सर्राफा व्यापार प्रणाली से भी जबरदस्त समर्थन मिलेगा।

वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों ने सोना खरीदना जारी रखा। वैश्विक आधिकारिक सोने के भंडार में दूसरी तिमाही में 180 टन की वृद्धि हुई, जिससे पहली छमाही शुद्ध खरीद 270 टन हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मैक्रोइकॉनॉमिक कारक जैसे आक्रामक मौद्रिक नीति का कड़ा होना और अमेरिकी डॉलर की मजबूती जारी रहना विपरीत परिस्थितियों पैदा कर सकता है, लेकिन सोने के निवेश के लिए फिर भी आधार मजबूती से बना हुआ है।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

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